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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस : रूढ़िवादी सोच को तोड़ लड़कियों को स्कूल तक ले गईं लीलावती

by admin
International Women's Day: Breaking conservative thinking, Leelavati took girls to school

आगरा। लड़की हो या लड़का शिक्षा सभी का अधिकार है, लेकिन कई जगह पर रूढ़िवादी सोच के चलते अभी भी लोग लड़कियों को स्कूल नहीं भेजते हैं। ऐसा ही इंदिरा नगर मारवाड़ी बस्ती में हो रहा था। बस्ती की पहली पढ़ी-लिखी महिला लीलावती ने इस रूढ़िवादी सोच को तोड़ा और बस्ती की 50 से अधिक लड़कियों को स्कूल में दाखिला कराया और उन्हें शिक्षित बनाने की ओर कदम बढ़ाया।

लीलावती इंदिरा नगर मारवाड़ी बस्ती की पहली पढ़ी लिखी महिला और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। लीलावती ने बताया कि यहां पर बस्ती में चाबुक बनाने का काम होता है और लड़कियां घर पर रहकर ही चाबुक बनाने का काम करती हैं। जब उन्होंने देखा कि नई बच्चियां पढ़ने नहीं जा रही हैं तो उन्होंने बस्ती वालों की इस रूढ़िवादी सोच को तोड़ने का निश्चय किया। उन्होंने बताया कि उनके पिता ने उन्हें पढ़ाया, लेकिन समाज की रूढ़िवादी सोच के चलते बीच में ही उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। वह केवल 12 वीं तक ही अपनी पढ़ाई कर सकीं।

लीलावती ने बताया कि बस्ती में कोई भी अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहता था। उनके कई बार प्रयास करने के बाद भी जब कोई नहीं माना तो उन्होंने समाजसेवी नरेश पारस का सहयोग लिया। नरेश ने बस्ती की महिलाओं को जागरूक किया और तीन स्कूलों में 50 से अधिक बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया। इनमें से कुछ बच्चियों की इंटर कॉलेज तक पहुंच बनी है। अब महिलाएं अपनी बेटियों को पढ़ा रही हैं।

समाजसेवी नरेश पारस ने बताया कि जब वह मारवाड़ी बस्ती में लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करने के लिए गए तब वहां की आंगनवाड़ी लीलावती ने उनसे बस्ती में शिक्षा के क्षेत्र में जागरुकता बढ़ाने के लिए सहयोग की मांग की। मैंने और लीलावती ने बस्ती के लोगों को स्कूल में उनकी बेटियों के दाखिला करने के लिए समझाया। नरेश ने बताया कि लीलावती अपने काम के साथ-साथ बस्ती के लोगों जागरुक करने के लिए लगातार काम करती रहीं। इस दौरान उन्हें कई बार बस्ती के लोगों की उलाहना भी सुननी पड़ीं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

मारवाड़ी बस्ती निवासी तनु ने बताया कि उनका दाखिला लीलावती की पहल के कारण ही स्कूल में हो सका। वे स्कूल जाना चाहती थीं लेकिन घरवाले काम करने के लिए कहते थे, लेकिन जब लीलावती ने उनके परिवार वालों को कई बार समझाया तब जाकर उन्होंने मेरा स्कूल में दाखिला करवाया। अब वे नौवीं कक्षा में पढ़ रही हैं और पढ़ लिख कर समाज सेवा करना चाहती हैं।

नरेश पारस ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान समुदाय के सामने खाने का संकट था, तब भी उन्होंने हमारी संस्था के सहयोग से बस्ती के 112 परिवारों को तीन बार राशन दिलाने में मदद की। इसके साथ ही लीलावती ने बस्ती में सभी किशोरियों को मास्क सेनेटरी पैड और सैनिटाइजर उपलब्ध कराकर उन्हें स्वच्छता के प्रति भी जागरुक किया। उन्होंने समुदाय के लोगों के राशन कार्ड बनवाएं। सर्दियों में बच्चों को स्वेटर आदि उपलब्ध कराए।

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