जस्टिस रंजन गोगोई ने बुधवार को देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के तौर पर शपथ ले ली है। बतौर सीजेआई जस्टिस गोगोई का कार्यकाल 13 महीनों का होगा जो कि नवंबर 2019 में समाप्त होगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उन्हें सीजेआई पद की शपथ दिलवाई।
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस गोगोई के सीजेआई बनने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। जस्टिस दीपक मिश्रा के विदाई समारोह में बोलते हुए जस्टिस गोगोई ने कहा था कि उनका सबसे बड़ा योगदान ‘सिविल लिबर्टी’ के मामले में है और उनके कई अच्छे फैसलों का ज़िक्र किया।
बता दें कि जस्टिस गोगोई असम के रहने वाले हैं और उन्होंने एनसीआर पर सुनवाई के लिए बने स्पेशल बेंच की अध्यक्षता भी की है। सुप्रीम कोर्ट के कई महत्वपूर्ण फैसलों में वह शामिल रहे हैं। सार्वजनिक विज्ञापन के जरिए राजनेताओं के महिमामंडन के खिलाफ भी जस्टिस गोगोई फैसला दे चुके हैं।
जस्टिस गोगोई सुप्रीम कोर्ट के उन चार जजों में शामिल रहे हैं, जिन्होंने 12 जनवरी 2018 को एक अप्रत्याशित प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट के कामकाज के तरीके और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठाए गए थे।
18 नवंबर 1954 को जन्मे जस्टिस गोगोई ने 1978 में वकालत शुरू की थी। उन्होंने संवैधानिक, टैक्सेशन और कंपनी मामलों में गुवाहाटी हाईकोर्ट में लंबे समय तक वकालत की। उन्हें 28 फरवरी, 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट में ही परमानेंट जज के रूप में नियुक्त किया गया।
9 सितंबर 2010 को जस्टिस गोगोई को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया। 12 फरवरी 2011 को उन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 23 अप्रैल 2012 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्त किया गया।