मून ब्रेकिंग। अठारह साल पहले, वो 24 दिसंबर की ही शाम थी, दिन था शुक्रवार और घड़ी में साढ़े चार बजने वाले थे। काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या आईसी 814 नई दिल्ली के लिए रवाना होती है। शाम 5 बजे जैसे ही विमान भारतीय वायु क्षेत्र में दाखिल होता है, अपहरणकर्ता हरकत में आते हैं और फ़्लाइट को पाकिस्तान ले जाने की मांग करते हैं। दुनिया को पता लगता है कि ये भारतीय विमान अगवा कर लिया गया है। शाम छह बजे विमान अमृतसर में थोड़ी देर के लिए रुकता है और वहां से लाहौर के लिए रवाना हो जाता है।
पाकिस्तान की सरकार के इजाजत के बिना ये विमान रात आठ बजकर सात मिनट पर लाहौर में लैंड करता है। लाहौर से दुबई के रास्ते होते हुए इंडियन एयरलाइंस का ये अपहृत विमान अगले दिन सुबह के तकरीबन साढ़े आठ बजे अफगानिस्तान में कंधार की जमीन पर लैंड करता है। उस दौर में कंधार पर तालिबान की हुकूमत थी। विमान पर कुल 180 लोग सवार थे। विमान अपहरण के कुछ ही घंटों के भीतर चरमपंथियों ने एक यात्री रूपन कात्याल को मार दिया। 25 साल के रूपन कात्याल पर चरमपंथियों ने चाकू से कई वार किए थे। रात के पौने दो बजे के करीब ये विमान दुबई पहुंचा। वहां ईंधन भरे जाने के एवज में कुछ यात्रियों की रिहाई पर समझौता हुआ।
दुबई में 27 यात्री रिहा किए गए, इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। इसके एक दिन बाद डायबिटीज से पीड़ित एक व्यक्ति को रिहा कर दिया गया। कंधार में पेट के कैंसर से पीड़ित सिमोन बरार नाम की एक महिला को कंधार में इलाज के लिए विमान से बाहर जाने की इजाजत दी गई और वो भी सिर्फ 90 मिनट के लिए। बंधक संकट के दौरान भारत सकरार की मुश्किल भी बढ़ रही थी। मीडिया का दबाव था, बंधक यात्रियों के परिजन विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और इन सब के बीच अपरहरणकर्ताओं ने अपने 36 चरमपंथी साथियों की रिहाई के साथ-साथ 20 करोड़ अमरीकी डॉलर की फिरौती की मांग रखी थी।
हालांकि विमान में ज्यादातर यात्री भारतीय ही थे लेकिन इनके अलावा ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, इटली, जापान, स्पेन और अमरीका के नागरिक भी इस फ़्लाइट से सफर कर रहे थे। तत्कालीन एनडीए सरकार को यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चत करने के लिए तीन चरमपंथियों को कंधार ले जाकर रिहा करना पड़ा था।