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शर्मशार कर देने वाली इस घटना में कोर्ट ने आरोपी पिता को सुनाई कड़ी सजा, अपनी ही बेटी के साथ…

by admin
In this embarrassing incident, the court sentenced the accused father to severe punishment, along with his own daughter…

Agra. पिता पुत्री के रिश्ते हो शर्मशार करने वाले एक मामले में दुष्कर्म के आरोपी पिता को नयायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोषी पिता ने पांच साल पहले अपनी 12 साल की बेटी को हवस का शिकार बनाया था और डरा धमका कर कई दिनों तक दुष्कर्म किया था। इस फैसले के बाद पुत्री का साथ देने वाली उसकी माँ ने फैसले पर संतोष जताया।

10 जून 2015 की घटना-

मामला करीब पांच साल पुराना है। जगदीशपुरा थाना क्षेत्र की रहने वाली एक महिला ने 10 जून 2015 को अपने पति के खिलाफ दुष्कर्म करने का मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि पति ने डरा-धमका कर 12 साल की बेटी के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंंजाम दिया। महिला की तहरीर पर पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस मामले की सुनवाई आगरा नयायालय में चल रही थी।

In this embarrassing incident, the court sentenced the accused father to severe punishment, along with his own daughter…

माँ को जान से मारने की धमकी देकर किया दुष्कर्म-

विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) विमलेश आनंद ने बताया कि पीड़ित महिला 15 मार्च 2015 को अपनी बहन की तबीयत खराब होने पर उसके पास कालिंदी विहार गई थी। इसी बीच महिला अपनी बहन के घर 10 दिनों के लिए रुक गई। घर पर उसकी 12 वर्षीया बेटी और जूता कारीगर पति रह गया था। उसी दौरान आरोपी ने बेटी के साथ दुष्कर्म किया और फिर लगातार डरा धमका कर दस दिनों तक बेटी के साथ दुष्कर्म किया। आरोपी पिता ने बेटी को धमकी भी दी कि अगर माँ को बताया तो उसकी मां को जान से मार देगा। माँ के घर लौटने पर भी बच्ची जब गुमसुम रहने लगी तो कुछ दिनों बाद मां के द्वारा पूछा गया तो बेटी ने पिता की करतूत बताई। पिता की इस करतूत से शर्मशार होने पर पत्नी ने खुद मुकदमा दर्ज कराया।

आरोपी को आजीवन कारावास –

विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) विमलेश आनंद ने बताया कि अदालत पॉक्सो एक्ट के न्यायाधीश वीके जायसवाल ने बच्ची के पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है साथ ही कोर्ट ने 1.80 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

आरोपी को सजा सुनाने के दौरान न्यायाधीश ने अपने आदेश में लिखा कि ‘अभियुक्त ने अमानवीय कार्य किया है। एक बेटी अपने पिता के पास सबसे ज्यादा सुरक्षित रहती है, लेकिन पिता ही भक्षक बन जाए तो बेटी कहीं सुरक्षित नहीं है’। ऐसे व्यक्ति को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है।

आदेश में कविता की लाइनें भी शामिल –

जब-जब जन्म लेती है बेटी, खुशियां साथ लाती है बेटी
ईश्वर की सौगात है बेटी, सुबह की पहली किरण है बेटी
तारों की शीतल छाया है बेटी, आंगन की चिड़िया है बेटी.

विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) विमलेश आनंद ने बताया कि अदालत पॉक्सो एक्ट के न्यायाधीश वीके जायसवाल ने अपने आदेश में एक कविता की चंद लाइनें लिखी हैं। यह कविता बेटियों पर लिखी गई हैं, क्योंकि बेटियां फूल की तरह होती हैं।

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