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ग्रामीण खुले में शौच को मजबूर, इधर अधिकारी-जनप्रतिनिधी मना रहे जश्न

by pawan sharma

आगरा। विकासखंड शमसाबाद की दो ग्राम पंचायतें ओडीएफ घोषित हो चुकी हैं। दावा है कि यहां लोग शौच के लिए खुले में नहीं जाते लेकिन जब न्यूज टीम ने गांव जाकर पड़ताल की तो हकीकत सामने आई। जबकि अधिकारियों द्वारा दोनों गांव को कार्यक्रम के माध्यम से ओडीएफ घोषित कर दिया है।

सरकार की मंशा है कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत हर गांव स्वच्छ और खुले में शौच से मुक्त हो। ग्राम पंचायतो को खुले में शौच से मुक्त कराने के लिए विकास खंड कार्यालय पर कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है। इसी कड़ी में शमसाबाद ब्लाक की दो ग्राम पंचायत सुडरई व भनपुरा को कार्यक्रमों का आयोजन कर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों द्वारा ओडीएफ घोषित कर दिया गया। साथ ही ओडीएफ की घोषणा होते ही गांव को खुले में शौच मुक्त होने का दावा भी किया जा रहा है लेकिन जब न्यूज टीम ने गांव जाकर खुले में शौच मुक्त दावे की पड़ताल की तो हकीकत सामने आई।

शमसाबाद की ग्राम पंचायत भनपुरा में की गई पड़ताल में सामने आया कि गांव में करीब 60% शौचालय बना दिए गए हैं। कुछ लोगों के शौचालय का कार्य प्रगति पर है तो वही कुछ ग्रामीणों ने अपने मकान के सामने गड्ढ़े खोद रखे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय निर्माण के लिए बैंक खाते में पैसे नहीं आए हैं और लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।

तो वहीं ओडीएफ घोषित करने के मामले में गांव भनपुरा प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक से बात की गई तो प्रधानाध्यापक ने बताया कि 1 जनवरी को ब्लॉक स्तर के अधिकारियों द्वारा खंड विकास अधिकारी की मौजूदगी में कार्यक्रम के माध्यम से गांव को ओडीएफ घोषित किया गया था लेकिन गांव में कहानी उल्टी दिखाई दे रही है। अधिकारियों द्वारा कार्य कागज पर पूरा कर लिया गया है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग ही बयां कर रही है। अब सवाल यह है कि गांव में शौचालय निर्माण का कार्य पूरी तरह से पूरा ना होने के बावजूद भी गांव को ओडीएफ घोषित कैसे कर दिया गया। जब ग्राम प्रधान बाबूलाल से बात की गई तो प्रधान भी बड़े आत्मविश्वास के साथ जमीनी हकीकत से अंजान होकर अपने गांव को खुले में शौच मुक्त करने का दावा करते नजर आए।

ग्राम प्रधान गांव को खुले में शौच मुक्त होने की बात करते हुए कहीं ना कहीं ब्लॉक स्तर के अधिकारियों के सामने अपने नंबर बढ़ाते हुए नजर आए लेकिन इस सब के बावजूद भी मामले में जब शमसाबाद के खंड विकास अधिकारी प्रथमेश कुमार से बात की गई तो खंड विकास अधिकारी ने बताया कि गांव भनपुरा और सुडरई में पिछले दिनों ओडीएफ मिशन के तहत एक गौरव यात्रा निकाली गई थी। ग्राम पंचायत के प्रधानों ने उत्साह दिखाया था। इसके अलावा उन्होंने बताया कि कोई भी गांव ओडीएफ घोषित नहीं किया गया है। जल्द ही कार्य पूरा करके इसकी घोषणा कर दी जाएगी।

पूर्व में ग्राम पंचायत सुडरई और भनपुरा में कराए गए कार्यक्रम में दोनों ग्राम पंचायतों को ओडीएफ यानी खुले में शौच मुक्त ग्राम घोषित किया गया था। ब्लाक अधिकारियों द्वारा गांव को ओडीएफ घोषित करने की पुष्टि के लिए पर्याप्त हैं। जिसमें कि खंड विकास अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी दिखाई दे रहे हैं लेकिन गांव में लोग अभी भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं जबकि प्रधान और खंड विकास कार्यालय के अधिकारी ग्राम पंचायतो को खुले में शौच मुक्त होने का दावा करते नजर आ रहे हैं।

क्या अधिकारियों द्वारा कागजों में कार्यवाही करके गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

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