आगरा। ताजनगरी की जहरीली होती हवा और प्रदूषण को लेकर आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि शहर में उड़ती हुई धूल और कूड़ा कचरा के जलाने पर पूरी तरह से अगर नियंत्रित किया जाए तो आगरा की आबोहवा 80 फ़ीसदी तक स्वच्छ हो सकती है। इसके अलावा आगरा के आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में पराली जलाने से रोकने के लिए भी विशेष कदम उठाने होंगे।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें बोर्ड के प्रभारी अधिकारी और वैज्ञानिक कमल कुमार ने आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट रखते हुए बताया कि आगरा में सड़कों की धूल से 80 फीसदी प्रदूषण फैल रहा है। यदि इस पर नियंत्रण कर लिया जाए तो आगरा शहर की वायु गुणवत्ता में आमूलचूल परिवर्तन आ सकता है।
नगर निगम पर्यावरण अभियंता पंकज भूषण ने बताया कि नगर निगम प्रतिदिन 5 टन क्षमता के सीएनडी वेस्ट साइड का निर्माण करा रहा है। 1000 किलोलीटर क्षमता के जलाशय बनाए जा रहे हैं जिसमें एसटीपी से निकला पानी भरा जाएगा। रीसायकल करने के बाद भविष्य में इस पानी का उपयोग छिड़काव व अन्य गतिविधियों में किया जाएगा।
वहीं कृषि विभाग के डीडीए महेंद्र सिंह ने बताया कि आगरा में पराली जलाने की घटनाएं हालांकि कम हुई है लेकिन फिर भी प्रदूषण रोकने के लिए ग्राम प्रधान द्वारा किसानों को जागरूक किया जा रहा है।