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श्राद्ध पक्ष में गीता के इस अध्याय का करें पाठ तो नहीं रहेगा पितृ दोष

by admin
श्राद्ध

आगरा। शनिवार से शुरू हो रहे श्राद्ध पक्ष में गीता के इस अध्याय का करें पाठ तो नहीं रहेगा पितृ दोष। जानिए पितृ दोष के लक्षण और उपाय।

अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद विधि विधान से अंतिम संस्कार न किया जाए या किसी की अकाल मृत्यु हो जाए तो व्यक्ति से जुड़े परिवार की कई पीढ़ियों को तक पितृदोष का दंश झेलना पड़ता है। इसके लक्षणों से मुक्ति के लिए जीवन भर उपाय करने की जरूरत होती है।

ज्योतिषाचार्य आचार्य इमरान के अनुसार, भारतीय ज्योतिष के अनुसार सूर्य इस सौर मंडल का राजा है और इससे पिता की स्थिति का अवलोकन किया जाता है। शनि सूर्य का पुत्र है, परन्तु सूर्य का परम शत्रु है। शनि वायु विकार का कारक ग्रह है। राहु का फल भी शनि के समान ही है। सूर्य आत्मा का कारक है इसलिए जब सूर्य जन्म पत्रिका में अशुभ हो तो यह दोष कारक होता है।

ज्योतिषाचार्य आचार्य इमरान

उन्होंने बताया कि सूर्य जब शनि के प्रभाव में (साथ बैठकर या दृष्टि में रहकर) होता है, तो ऐसा जातक निश्चय ही पितृ दोष से पीड़ित होता है। जब शनि के साथ राहु भी सूर्य को पीड़ित करता है, तो जातक के पिता अन्य चांडाल प्रकृति की आत्माओं से भी पीड़ित हैं और यह दोष अधिक है।

पितृ दोष के प्रभाव

  1. परिवार में प्रायः अनावश्यक तनाव रहता है।
  2. बने-बनाये काम आखिरी समय पर बिगड़ जाते है।
  3. अपेक्षित परिणाम अनावश्यक विलंब से मिलते है।
  4. मांगलिक कार्य (विवाह योग्य संतानों के विवाह आदि) मे, सभी परिस्थितियां अनुकूल होने पर भी विलंभ होता है।
  5. भरपूर आमदनी के होते हुए भी बचत पक्ष कमजोर होता है।
  6. पिता-पुत्र में अनावश्यक वैचारिक मतभेद होते है।
  7. शरीर में अनावश्यक दर्द और भारीपन रहता है।
  8. जातक व उसके परिवार का स्वयं के घर में मन नही लगता।

पितृ दोष शांति उपाय

  1. पितृपक्ष में गया जाकर पितरों का श्राद्ध करें
  2. अपनी पुत्री के अतिरिक्त किसी का कन्यादान करें
  3. गाय का दान करें या उसे हरा चारा खिलाएं
  4. अपने वृद्ध माता-पिता की सेवा करें
  5. विष्णु भगवान की पूजा करें ।

इसके अलावा ये भी हैं पितृ दोष के उपाय

  1. श्राद्ध पक्ष में तर्पण, श्राद्ध इत्यादि करें।
  2. पंचमी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा को पितरों के निमित्त दान इत्यादि करें।
  3. घर में भगवत गीता पाठ विशेषकर 07 वें अध्याय का पाठ नित्य करें।
  4. पीपल की पूजा, उसमें मीठा जल तथा तेल का दीपक नित्य लगाएं। परिक्रमा करें।
  5. हनुमान बाहुक का पाठ, रुद्राभिषेक, देवी पाठ नित्य करें।
  6. श्रीमद्भागवत के मूल पाठ घर में श्राद्धपक्ष में या सुविधानुसार करवाएं।
  7. गाय को हरा चारा, पक्षियों को सप्त धान्य, कुत्तों को रोटी, चींटियों को चारा नित्य डालें।
  8. ब्राह्मण-कन्या भोज करवाएं।
  9. सूर्य को नियमित रूप से तांबे के पात्र से जल चढ़ाएं।
  10. हर रविवार को घर में परिवार के सभी लोग गायत्री मंत्र का हवन करें।

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