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इंसानियत हुई शर्मसार : कोविड मरीज़ों के इलाज के नाम पर हॉस्पिटलों में लूट, शवदाह गृह में अंतिम संस्कार के लिए भी मांगे जा रहे हैं रुपए

by admin
Humiliation caused by humanity: - Loots started in hospitals in the name of treatment of Kovid patients, money is being sought for funeral in crematorium

आगरा। कोरोना संक्रमण के कारण ताजनगरी आगरा में हालात बद से बदतर है। यहां प्रतिदिन कोरोनावायरस से होने वाली मृत्यु के आकड़ो में इजाफा हो रहा है इसका जीता जागता उदाहरण ताजगंज मोक्ष धाम और विद्युत शवदाह ग्रह, जहाँ अंतिम संस्कार के लिए वेटिंग लाइन लगी हुई है और जिला प्रशासन आगरा शासन को झूठी रिपोर्ट भेजकर गुमराह कर रहा है।

मंगलवार को मून ब्रेकिंग की टीम जब ताजगंज विद्युत शवदाह गृह पहुंची तो अंतिम संस्कार के लिए शव लेकर आये मृतक के परिजन नंबर आने का इंतजार कर रहे थे। इस बीच एक मृतक के परिजन से वार्ता हुई तो पता चला कि कोविड-19 के मरीजों के साथ किस तरह की लूटपाट चल रही है। मृतक के परिजन ने बताया कि आगरा का सबसे बड़ा एपिक सेंटर पारस हॉस्पिटल कोविड के मरीज और उनके तीमारदारों के साथ में धोखाधड़ी अभद्रता और गाली गलौज कर रहा है। इतना ही नहीं मून ब्रेकिंग को इंटरव्यू देने वाले मरीज के तीमारदारों ने बताया कि कोविड-19 की शिकार हुई कमला नगर की 70 वर्षीय महिला माया सिंह से इलाज के दौरान पारस हॉस्पिटल में दो लाख रुपये की मांग की गई। हॉस्पिटल प्रशासन जबरदस्ती पैसा जमा करने की बात कहने लगा और पैसा जमा न करने पर इलाज भी शुरू नहीं किया गया।

परिजनों पर जब रुपए की मांग पूरी नहीं हो पाई तो उन्होंने आगरा उत्तरी विधानसभा के विधायक पुरषोत्तम खंडेलवाल से फोन पर संपर्क किया और मदद मांगी इलाज ना होने पर उन्हें एसएन रेफर करने की गुहार लगाई इस मामले में विधायक ने स्थानीय प्रशासन से वार्ता भी की। जिसके बाद उनके परिजन का खानापूर्ति वाला इलाज शुरू हुआ।

Humiliation caused by humanity: - Loots started in hospitals in the name of treatment of Kovid patients, money is being sought for funeral in crematorium

हॉस्पिटल में कोविड-19 के मरीज के भर्ती होने पर उनसे मरीज के हर छोटे छोटे काम के लिए अलग से पैसे लिए गए जबकि उन कामों के लिए हॉस्पिटल प्रशासन की जिम्मेदारी होती है। बीती रात जब इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई तो शव को ले जाने के लिए भी पूरा बिल जमा करने की बात कही गई। सत्ता के लोगों के हस्तक्षेप और प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता होने पर समझौता हुआ और बिल का पेमेंट किया गया उसके बावजूद उन्हें पीपीई किट नहीं दी गई जबकि पीटीई किट का पैसा अलग से जमा कराया गया था और फिर शव के साथ यूं ही भेज दिया गया।

भगवान टॉकीज से ताजगंज विद्युत शवदाह गृह पर शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस चालक ने भी उनसे ₹5000 लिए तो वहीं जब शव को अंतिम संस्कार के लिए विद्युत शवदाह गृह पर शव लाया गया तो विद्युत शवदाह गृह में भी उनके परिजन का अंतिम संस्कार करने के लिए वहां के लोगों ने ₹2000 की मांग की गई।

इस घटना को बयां करते हुए मृतक के परिजन की आंखों से आंसू छलकने लगे और दो टूक शब्दों में वह भी कहने लगे कि आखिरकार जिला प्रशासन की यह कैसी व्यवस्था है कि मरने के बाद भी हॉस्पिटल से कोविड मरीज के शव को लेने के लिए पैसा देना पड़ता है और उसके अंतिम संस्कार के लिए भी पैसों की मांग की जाती है। फिलहाल कुछ भी हो लेकिन कोरोना वायरस आम व्यक्ति को दो गुना दर्द दे रहा है। पहला तो अपनों के खोने का और फिर उसके बाद उनके अंतिम संस्कार के लिए भी होने वाली लूट खसूट का जिसे लोगों ने अपना धंधे का जरिया बना लिया है।

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