आगरा। अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के लिए बैड और आँक्सीजन को सुलभ बनाये रखने हेतु स्वास्थ्य विभाग ने अपनी डिस्चार्ज पॉलिसी में बदलाव किया है। अब लक्षणविहीन, शुरुआती लक्षण और हल्के लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेट किया जाएगा, पर इनके घर में अलग कमरा और शौचालय की व्यवस्था नहीं है तो उन्हें अस्पतालों में रखा जाएगा। विभाग ने गंम्भीर रोगियों को अस्पताल में लाभ देने के निर्देश दिए हैं। कोशिश है कि अस्पतालों में गंभीर मरीजों को बैड उपलब्ध कराकर उनकी जान को बचाया जा सके।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर. सी. पांडेय ने बताया कि शासन द्वारा जारी मरीजो को नई डिस्चार्ज पॉलिसी के अनुसार लक्षणविहीन होने पर सभी प्रकार के रोगियों को अस्पताल से डिस्चार्ज करते हुए होम आइसोलेशन में रखने की प्लानिंग बनाई गई है। ऐसी व्यवस्था होने से गंभीर रोगियों को कोविड अस्पताल में आसानी से बैड उपलब्ध कराकर उनके प्राणों की रक्षा की जा सकेगी। सभी मरीजों से होम क्वारंटीन के दिशा-निर्देशों के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी कराए जाएंगे।
होम आइसोलेशन से पहले होगी घर की जांच
-कोविड से ग्रसित लक्षणविहीन रोगी को होम आइसोलेट करने से पहले उसके घर की जांँच होगी। रैपिड रिस्पांस टीम घर पर जाकर होम आइसोलेशन की सारी पात्रता की जांच करेगी। हल्के रोगी को घर के अलग कमरे और शौचालय की व्यवस्था होने पर रखा जा सकता है।
यह संक्रमित रह सकते एक साथ
-आमतौर पर कोरोना संक्रमित व्यक्ति को अकेले ही आइसोलेट किया जाता है, लेकिन किसी परिवार में एक साथ अनेक लोग संक्रमित हो गए तो ऐसे में सभी एक कक्ष में रह सकते हैं। एक शौचालय का प्रयोग भी कर सकते हैं। होम आइसोलेशन प्रारंभ होने से दस दिन तक इंट्रीग्रेटेड कोविड एंड कंट्रोल सेंटर के जरिए फोन कर रोगियों में लक्षण के विकसित होने के संबंध में जानकारी ली जाएगी।
संक्रमित व्यक्ति में लक्षण नहीं दिख रहे हैं तो उसे होम आइसोलेशन में रखा जा सकता है, पर रोगी के घर में अलग कमरा और शौचालय न होने पर उसे अस्पताल में भर्ती किया जायेगा, उसे एल-1 में रखा जाएगा। इस बीच स्वास्थ्य कर्मी रोगी का तापमान, श्वसन दर, आक्सीजन सेचुरेशन दिन में तीन बार नापेंगे। ऐसे मरीज को प्रारंभिक जांच के दसवें दिन या भर्ती होने के सातवें दिन बिना जांच के डिस्चार्ज किया जाएगा। रोगी को उसके बार घर में होम आइसोलेशन में सात दिन रहना होगा।
मध्यम तीव्रता श्रेणी वाले कोरोना मरीज रखे जाएंगे एल-टू या थ्री में
स्वास्थ्य विभाग ने मध्यत तीव्रता श्रेणी में उन मरीजों को रखा है, जिनमें लोअर रेस्पिरेट्री टै्रक्ट इंफेक्शन के लक्षण हो। खांसी, बुखार के साथ सांस लेने में दिक्कत, नेजल फ्लेयरिंग, पसली चलना, तेज सांस की परेशानी वाले मरीजों को एल-2 या एल-3 में भर्ती किया जाएगा। इलाज के बाद यदि मरीज को आँक्सीजन की जरूरत नहीं है और उसमें लक्षण भी प्रदर्शित नहीं हो रहे। ऐसे रोगी को जांच के बाद होम आईसोलेशन के लिए डिस्चार्ज किया जाएगा।
गंम्भीर रोगियों को अस्पताल में भर्ती किया जाएगा
शासन द्वारा जारी कोरोना के मरीजों के लिए नई डिस्चार्ज पॉलिसी के अनुसार गंम्भीर संक्रमित मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाएगा। मरीज को आक्सीजन दिए जाने पर उसका आँक्सीजन मेनटेन नहीं कर पा रहे। जिन्हें वेंण्टीलेटर की जरूरत है। उन्हें एल-टू या एल-थ्री में रखा जाएगा। कैंसर, एचआईवी, आँर्गन ट्रांसप्लांट करवाने वाले संक्रमित व्यक्ति आईसीयू में भर्ती किया जाएगा। गंभीर रोगी की आक्सीजन सुविधा युक्त स्टेप डाउन वार्ड में शिफ्ट कर सकते हैं। रूम एयर पर आक्सीजन सेचुरेशन करने की स्थिति आने पर उपचार करने वाले चिकित्सक के द्वारा जांच के बाद हालात नियन्त्रण होने पर होम आइसोलेशन के लिए डिस्चार्ज भी किया जा सकता है।
खास बातें
-सभी प्रकार के मरीजों को डिस्चार्ज किए जाने के बाद कोविड फैसिलिटी में भर्ती रहने की अवधि में पहने गए कपड़ों को विसंक्रमित कर दिया जाए।
-कपड़ों को गर्म पानी में डिटर्जेट के साथ अच्छी तरह से धुलवाने के बाद ही प्रयोग करें।
-डिस्चार्ज होने के बाद मरीज का मोबाइल, जूते-चप्पल, अन्य सभी सामग्री को एल्कोहल बेस्ड सेनेटाइजर से साफ कर लें