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मानवाधिकार आयोग ने डीएम आगरा सहित यूपी-पंजाब के प्रमुख सचिव को भेजा नोटिस, इस मामले में मांगा जवाब

by admin

आगरा। सूटकेस पर सोये हुए बच्चें को प्रवासी मजदूर महिला द्वारा रस्सी से खींचते हुए वायरल वीडियो का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने खुद ही संज्ञान लेकर आगरा के जिलाधिकारी सहित यूपी व पंजाब सरकार के मुख्य सचिवों को नोटस जारी किया है और इस मामले में चार सप्ताह में जवाब मांगा है, साथ ही जिम्मेदार अफसरों पर क्या कार्यवाही की है इसकी भी जानकरी देने के निर्देश दिये है।

आपको बताते चले कि पंजाब से उत्तर प्रदेश के महोबा जाने के लिए मजदूरों का एक जत्था पैदल निकला था। उसी में कुछ महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। दो दिन पहले यह जत्था आगरा पहुंचा तो एक मासूम बच्चा पैदल चलते-चलते बहुत थक गया। मां ने बच्चे की थकावट के चलते जत्थे से अलग होकर अकेले रुकना ठीक नहीं समझा। इसलिए उसने बच्चे को उसी ट्रॉली बैग पर ही सुला दिया। बच्चे को ट्रॉली पर औंधा कर लिटाकर वह ट्रॉली को सड़क पर खींचते हुए आगे चलने लगी। महिला ने दोनों हाथों से बैग के दोनों छोर पकड़ रखे थे ताकि कहीं उसका बच्चा गिर न जाए।

आगरा में जब कुछ लोगों और मीडिया कर्मियों ने ये दृश्य देखा तो उनके होश उड़ गए। मजदूरों की बेबसी को बयां कर रहे इस दृश्य को उन्होंने तस्वीर में कैद कर लिया। बच्चा 5-6 साल का है। बच्चे के शरीर का आधा हिस्सा ट्रॉली बैग पर है और आधा हिस्सा सड़क की ओर नीचे लटका हुआ।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में कहा है कि इस तरह के दृश्य पंजाब और यूपी में देखने को मिले हैं। भले ही केंद्र और राज्य सरकारें लॉकडाउन का पालन करा रही हो पर मजदूरों के बच्चों और परिवारों के दर्द को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। आयोग ने सूटकेस पर बच्चे को लिटा कर ले जाने के मामले का स्वयं संज्ञान लेते हुए कहा है कि स्थानीय अफसरों ने सतर्कता बरती होती तो इन मजदूरों को राहत मिल सकती थी। इस तरह की घटना मानवाधिकारों का उल्लंघन है।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने इस मामले में यूपी सरकार के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी, पंजाब सरकार के मुख्य सचिव करण अवतार सिंह व अगरा के जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह को नोटस जारी कर इस पर जवाब मांगा है। आखिर तमाम ट्रेनों और बसों के माध्यम से जहां दूसरे राज्यों में फंसे लाखों मजदूरों को लाया जा रहा है, वहां ऐसी कौन सी चूक हो रही है, जिस कारण यह भयावह तस्वीरें सामने आ रही हैं।

डीएम ने कहा था यह-

इस मामले पर आगरा के डीएम प्रभु नारायण सिंह के बेहद संवेदनहीन बयान आया था। उन्होंने कहा, ‘हमारे अधिकारी लगातार काम कर रहे हैं। अभी एक वीडियो वायरल हुआ। हम जब छोटे थे और अपने पिताजी के साथ कहीं जाते थे तो हम अटैची पर बैठ जाया करते थे।’

फिलहाल राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के स्वयं इस मामले के संज्ञान लेने के बाद से जिला प्रशासन में भी हड़कंप मचा हुआ है। आगरा जिला अधिकारी को इस मामले में 4 सप्ताह में जवाब देना है। इससे पहले एक स्थानीय आरटीआई एक्टिविस्ट ने भी बाल अधिकार आयोग को शहर में इलाज के अभाव में हो रही बच्चों की मौत की शिकायत की थी, इस मामले में भी आयोग ने जिलाधिकारी से जवाब मांगा है। ऐसा लगता है कि अब इन मामलों को लेकर आगरा जिला अधिकारी की मुश्किलें बढ़ रही हैं।

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