Agra. डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है लेकिन कभी-कभी भगवान रूपी डॉक्टर की लापरवाही के कारण किसी की जान पर बन आती है। मामला एसएन हॉस्पिटल से जुड़ा हुआ है। खंदौली ब्लॉक के पोइया स्थित अचलु का वास निबासी राजकुमार पुत्र होरी लाल शर्मा अपनी कटी हुई उंगली का इलाज कराने के लिए गया था तो चिकित्सकों ने उसकी उंगली की जगह अंगूठे को सील कर घर भेज दिया। जब उंगली और हाथों में दर्द होने लगा तो निजी अस्पताल में चिकित्सक को दिखाने पर पूरे मामले का खुलासा हुआ। 2 दिनों में पीड़ित की स्थिति भी काफी बिगड़ गई है।
पीड़ित राजकुमार ने बताया कि वो बेलनगंज में एक लकड़ी के कारखाने में लकड़ी काटने का काम करता है। विगत रविवार को रोजाना की भांति राजकुमार आरा मशीन पर लकड़ी काट रहा था कि अचानक नींद का झोंका आने के कारण उसका सीधा हाथ मशीन के ब्लेड से लग गया जिससे उसके हाथ का अंगूठा व एक उंगली अलग कट कर गिर पड़ी। हादसे की जानकारी होने पर घायल राजकुमार को कारखाने का मालिक तत्काल आगरा के एसएन इमरजेंसी हॉस्पिटल ले गया जहां डॉक्टरों ने उंगली को उसकी जगह अंगुठे को सिल कर पट्टी बांध घर भेज दिया।
घर आने पर घायल राजकुमार को तेज दर्द के साथ सूजन से काफी परेशानी होने लगी सुबह उसकी हालत देख परिजनों ने यमुनापार के प्राइवेट हॉस्पिटल में दिखाया जहाँ डॉक्टरों ने जैसे ही पट्टी को खोल कर देखा तो हैरान रह गए। क्योंकि उंगली की जगह अंगूठे को एस एन हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने जोड़ दिया जिससे मरीज की हालत गम्भीर हो गई।
निजी डॉक्टर ने बताया कि उपचार में लापरवाही की गई। उंगली की जगह अंगूठे को ऊपर से ही खाल के साथ सिल दिया है। अंदर की खून की नशे कटने से खून काफी बह चुका है। 24 घण्टे का समय बीत जाने के कारण अंगूठे को सही जगह जोड़ना मुश्किल है। अगर सही समय पर खून की कटी नशों के साथ अंगूठे को जोड़ा जाता तो हाथ के सही होने की संभावना थी अब काफी देर हो चुकी है। हालत गम्भीर होने पर डॉक्टर ने प्लास्टिक सर्जन से ऑपरेशन करने की सलाह दी है।
डॉक्टरों की लापरवाही के कारण एक मजदूर का सीधा हाथ काटने की नौबत आ चुकी है तो वहीं उसके परिवार के भरण पोषण की भी समस्या खड़ी हो गयी है। डॉक्टर की एक लापरवाही ने मजदूर को जिंदगीभर के लिए अपाहिज बना दिया।
सरकारी अस्पताल में हुई इस घटना ने एक बार फिर सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। इस घटना के बाद आखिरकार गरीब व्यक्ति जो आर्थिक रूप से कमजोर है वह प्राइवेट में इलाज नहीं करा सकता तो ऐसी स्थिति में अब सरकारी अस्पताल में भी इलाज कराने के लिए आये या नहीं।
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