आगरा। ताजनगरी में गणेश चतुर्थी पर्व की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। शहर के प्रमुख बाजार विघ्नहर्ता की मूर्तियों से सज गए है। बाजार में भगवान गणेश की आकर्षित करने वाली प्रतिमाएं मौजूद है लेकिन सबसे ज्यादा मांग इको फ्रेंडली मूर्ति प्रतिमाओं की है जो पूरी तरह से मिट्टी की बनी हुई है जिनमे पीओपी का कोई काम नही है।
ताजनगरी में मिट्टी से निर्मित मूर्तियों के प्रमुख बाजारों में से एक नामनेर चौराहे प्रभु गणेश की मूर्तियों का बड़ा बाजार सजा है। नामनेर चौराहा के बाजार में विघ्नहर्ता की इको फ्रेंडली प्रतिमाओं का बाजार सजा हुआ है। ऐसा नही है कि यहाँ पर पीओपी की प्रतिमाये नही है। लेकिन मिट्टी की प्रतिमाओ से पर्यावरण दूषित नही होता है।
एक दुकानदार ने बताया कि जब से शासन और प्रशासन ने पीटीयो से बनी हुई प्रतिमाओं को प्रतिबंधित किया है तभी से वह इको-फ्रेंडली प्रतिमाएं बनाने का काम कर रहे हैं मिट्टी से यह प्रतिमाएं बनाई जाती हैं आगरा के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में भी इको-फ्रेंडली प्रतिमाओं को बेचने के लिए भेजा जाता है इसकी विसर्जन से जल प्रदूषण नहीं होता तो वही पर्यावरण को स्वच्छ बना रहता है
शासन और प्रशासन के सख्त निर्देश के बावजूद भी कुछ दुकानदार निजी स्वार्थ के लिए पीपीओ की प्रतिमाएं बेच रहे हैं और ऐसा कर वह पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं
ऐसा नहीं है कि आगरा में ही पीपीओ की प्रतिमाओं पर प्रतिबंध लगाया गया हो जिन राज्यों में गणेश महोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है उन राज्यों की सरकारों ने भी पीपीओ की प्रतिमाओं पर पर्यावरण को लेकर प्रतिबंधित कर दिया है
जिला प्रशासन का कहना है कि पीओपी की मूर्तियां बनने में कुछ ही वक्त लगता है और पीओपी की मूर्तियां में भरपूर मात्रा में केमिकल का इस्तेमाल होता है जो कि पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो रहा है लोगों को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए और प्रशासन को भी मिट्टी से निर्मित ईको फैमिली मूर्तियों के लिए लोगों को प्रेरित करना चाहिए।