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फर्जी दस्तावेजों से हुई आगरा कालेज के पूर्व प्राचार्य अनुराग शुक्ला की नियुक्ति

by pawan sharma

• समाजसेवी व आगरा के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सदस्य सुभाष ढ़ल ने साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत किए दस्तावेज
• मुकद्मा दर्ज करने व जांच कर कड़ी कार्रवाई की मांग

आगरा। आगरा कालेज के पूर्व प्राचार्य डॉ० अनुराग अनुराग शुक्ला आदतन साजिशकर्ता और जालसाजी के उस्ताद हैं मानो इन्होंने जालसाजी में ही पीएचडी की हो। यह सर्वविदित है कि मदनमोहन मालवीय कॉलेज का संस्कृत विभाग स्नातक स्तर का विभाग है जिसमें पी जी की पढ़ाई नहीं होती न ही इस विभाग को या इसके किसी शिक्षक को शोध कराने की अनुमति प्राप्त है। डॉ० अनुराग शुक्ला ने आगरा कॉलेज ज्वाइन करने के बाद अपनी सेवा पुस्तिका (सर्विस बुक) स्वयं तैयार की। इस सर्विस बुक में इन्होंने स्नातक स्तर का शिक्षण अनुभव शून्य दर्शाया तथा उसकी जगह खुद के सापेक्ष 19 से अधिक वर्षों का स्नातकोत्तर (पीजी) का अध्यापन अनुभव स्वयं लिखा भी और उसे खुद सत्यापित भी कर लिया है। प्रतापगढ़ के कालाकाँकड़ के कॉलेज के दस्तावेजों के अनुसार उन्होंने संस्कृत विषय में एक घंटे भी पीजी अध्यापन नहीं किया है। क्योंकि वहाँ स्नातकोत्तर विभाग ही नहीं है। ये सारे तथ्य डॉ० अनुराग शुक्ला द्वारा छुपाकर प्रविष्टियाँ की गई है। अभी जाँच जारी है और आशा है इनके अन्य कई दस्तावेज और प्रमाणपत्र फर्जी निकलेंगे ।

समाजसेवी व आगरा के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सदस्य सुभाष ढ़ल व सुनील करमचंदानी ने आज भगवान सिनेमा चैराहा स्थित होटल आशादीप में प्रेस वार्ता आयोजित कर डॉ. अनुराग शुक्ला पर मुकद्मा दर्ज करने की मांग की। बताया कि प्राचार्यों की चयनित सूची में पहला स्थान पाये डॉ अनुराग शुक्ला ने 2021 में आगरा कॉलेज ज्वाइन किया पर उस समय भी उनके द्वारा नियमानुसार अपने चयन में लगाये गये सभी शैक्षणिक दस्तावेजों एवं अनुभव प्रमाण पत्र नियोक्ता संस्था आगरा कॉलेज प्रबंध समिति के समक्ष नहीं प्रस्तुत किए गए। जब गंभीर वित्तीय एवं प्रशासनिक अनियमितताओं में संलिप्त होने के कारण था आगरा कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित संस्था के प्रशासन में अक्षमताएँ सामने आई तो शासन और प्रबंध समिति द्वारा इनका पक्ष सुनते हुए जाँच कराई गई और इनमें घोर अनियमिताएँ पाई गई शासन ने इन्हें निलंबित कर विस्तृत जाँच कराने का निर्णय लिया और उसी के अनुरूप प्रबंध समिति अध्यक्ष ने संस्था हित में इन्हें निलंबित किया।

प्रबंध समिति द्वारा इस बीच हॉ० पी० बी० झा के नेतृत्व में चार सदस्यों की एक आंतरिक समिति गठित की जिसने उपलब्ध दस्तावे का परीक्षण कर जाँच में उठाये गये बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट दी है। समिति ने प्रबंध समिति को निलंबित प्राचार्य द्वारा प्रबंध समिति के बैठक के मिनट्स सहित अनेक महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध कराने का आग्रह किया। कमिश्नर महोदया द्वारा एवं वर्तमान प्राचार्य आगरा कॉलेज द्वारा इन्हें रिकॉर्डस उपलब्ध कराने के संबंध में लिखित निर्देश दिये किंतु इन्होंने कई रिमाइंडर के बावजूद आज तक अनेक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराये हैं। यह नियोक्ता प्रबंध समिति के आदेशों की घोर अवहेलना है। यह न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना है जिसमें उनके विरुद्ध जाँच जारी रखने तथा सभी पक्षों को सहयोग करने के निर्देश दिये गये हैं।

राजस्थान के सनराइज यूनिवर्सिटी, अलवर से उन्होंने उस विश्वविद्यालय की जानकारी के बगैर गैरकानूनी तरीके से धोखाधड़ी करते हुए इस संस्था के नाम से शोध अनुभव के प्रमाण पत्र कूटरचित कर अनुभव प्रमाण पत्र के रूप में पेश किया और इस आधार पर नियुक्ति पाई है। सनराइज यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने संलग्न प्रमाण पत्र को यह संपूर्ण फर्जी करार दिया है और इसे सत्यापित किया है कि अनुराग शुक्ला किसी भी क्षमता में इस विश्वविद्यालय से संबद्ध नहीं रहे, न ही कभी ऐसा कोई शोध कार्य संपन्न हुआ है। डॉ० अनुराग शुक्ला द्वारा फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र के जरिए मेरिट में टॉप कर आगरा कॉलेज प्राचार्य का पद पाना कई प्रकार से गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। सर्वप्रथम यह उस उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के साथ फ्रॉड और धोखा है जहां उन्होंने अपने दस्तावेज प्रामाणिक और सत्य होने का हलफनामा दिया है। दूसरे यह उच्च शिक्षा विभाग और उच्च शिक्षानिर्देशालय को गलत सूचना देकर नौकरी पाने की कारवाई और आपराधिक कृत्य है। तीसरे यह उन सभी अभ्यर्थियों के साथ छल, अन्याय और अवसर की समानता तथा मेरिट आधारित चयन प्रणाली के साथ धोखा है।

डॉ. अनुराग शुक्ला ने यह जानते हुए भी कि आगरा कॉलेज में सौ से अधिक वर्षों से एक स्टाफ क्लब के रूप में शिक्षक संगठन कार्यरत है जिसका भवन क्रीड़ांगन परिसर में आवंटित और स्थित है अपने कुछ चहेते साथियों को वह बहुमूल्य ऐतिहासिक भवन सौंपने के उद्देश्य से एक फर्जी स्टाफ क्लब के गठन की अनुमति दी और गलत प्रमाणपत्र देकर निबंधन कराया। इस रजिस्ट्रेशन को सोसायटी रजिस्ट्रार और अपिल न्यायालय के रूप में मंडलायुक्त्त आगरा ने धोखाधडी मानते हुए निरस्त कर दिया। इसमें मंडलायुक्त ने प्राचार्य की गलतबयानी और धोखाधड़ी को चिन्हित करते हुए इनके खिलाफ फैसला दिया है। कायदे से मंडलायुक्त महोदया को कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष के रूप में इनके खिलाफ दंडात्मक करवाई करनी चाहिए थी। उक्त परिस्थितियों एवं बिंदुओं को ध्यान रखते हुए हमारी माँग सर्वप्रथम आगरा कॉलेज प्रबंध समिति से है कि इन्हें टर्मिनेट करते सेवा समाप्त करते हुए इनके विरुद्ध आपराधिक मुकदमा दर्ज कराई जाये। यही निवेदन प्रदेश शासन और मुख्यमंत्री महोदय से है कि इस प्रकरण में ऐसी करवाई की जाय जिससे कि कोई भविष्य में उच्च शिक्षा संस्थाओं, आयोग, आगरा कॉलेज के भविष्य के साथ खिलवाड़ न कर सके।

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