Agra. पूर्वोदय बुद्ध विहार चक्की पाट पर डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की जयंती को बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ मनाया गया। इस कार्यक्रम में कलबौद्ध भिक्षु भी शामिल हुए। बौद्ध अनुयायियों के साथ मिलकर सबसे पहले तथागत भगवान गौतम बुद्ध को पुष्प अर्पित किए गए और फिर उसके बाद भीमराव आंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी गई। पूर्वोदय बुद्ध विहार डॉ. आंबेडकर के पद चिन्हों पर चलने वाले और बौद्ध अनुयायियों के लिए पवित्र स्थलों में से एक है। भारी संख्या में लोग पूर्वोदय बुद्ध विहार पहुंचे। यहां पर उन्होंने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किए और श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इसके बाद बौद्ध भिक्षुओं ने डॉ. आंबेडकर के जीवन से सभी को रूबरू कराया और उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प भी दिलाया।
बुद्ध विहार प्रबंधन समिति की चौधरी राम गोपाल ने बताया कि बुद्ध विहार चक्की पाट बुद्ध अनुयायियों के लिए उनके पवित्र स्थलों में से एक है। 18 मार्च 1956 को रामलीला मैदान, आगरा में सभा करने के बाद डॉ. आंबेडकर ने पूर्वोदय चक्कीपाट में तथागत महात्मा बुद्ध की प्रतिमा अपने हाथों से स्थापित की। मूर्ति आज भी पूर्वोदय बुद्ध विहार में देखी जा सकती है। जुलाई 1957 को बौद्ध भिक्षु कौडिन्य ने आगरा आकर विशाल बुद्ध विहार का निर्माण कराया। सन 1967 में इसकी देखभाल के लिए बुद्ध विहार प्रबंध समिति बनाई गई जो वर्तमान में भी इसकी देखरेख का जिम्मा संभाल रही है।
चौधरी राम गोपाल ने बताया कि 13 फरवरी 1957 को डॉ. आंबेडकर के पुत्र यशवंत राव अंबेडकर द्वारा उनकी अस्थियां आगरा लाई गईं और इसी चक्कीपाट बुद्ध विहार में स्थापित की गयी है। हर वर्ष छह दिसम्बर को डॉ. आंबेडकर के परिनिवार्ण दिवस पर उनकी अस्थियां जनता के दर्शनार्थ बुद्ध विहार में रखी जाती हैं।
चौधरी राम गोपाल ने बताया कि डॉ. आंबेडकर ने समाज के उत्थान के लिए उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया और संविधान में कुछ अधिकार भी दिए जिनके माध्यम से आज समाज के बच्चे शिक्षित बन रहे हैं और अपने परिवार का नाम रोशन कर रहे हैं।