आगरा। आगरा के 15 चिकित्सकों को स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस जारी किए थे और कहा गया था कि जिस अस्पताल में वह मरीज को देखते हैं और जो अस्पताल उनके नाम से पंजीकृत है वहां का पूरा ब्यौरा और अस्पताल की सुविधाएं एक एफिडेविट के माध्यम से तत्काल उपलब्ध कराएं। जिसके बाद अब तक स्वास्थ्य विभाग को करीब 7 डॉक्टरों ने एफिडेविट के साथ यह जानकारी दी है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि आगरा में करीब 15 ऐसे डॉक्टर हैं जिनके नाम पर 50 अस्पताल पंजीकृत हैं जबकि नियमानुसार जिस चिकित्सक के नाम से अस्पताल पंजीकृत है वह किसी दूसरे अस्पताल को अपने नाम से पंजीकृत नहीं करा सकता। लेकिन जांच में सामने आया कि 15 से चिकित्सक ऐसे हैं जिनके नाम से 50 अस्पताल आगरा में संचालित हो रहे थे। इन सभी को नोटिस जारी करते हुए एफिडेविट जमा करने को कहा गया था और अब तक करीब 7 एफिडेविट हमें प्राप्त हो चुके हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अस्पताल को जिस डॉक्टर के नाम से पंजीकृत किया जाता है वह डॉक्टर सिर्फ उसी अस्पताल में बैठ सकता है। और मरीजों को देख सकता है। इसके अलावा अन्य डॉक्टर किसी भी अस्पताल में नहीं जा सकता। क्योंकि संबंधित अस्पताल में कभी भी कोई मरीज आ सकता है और ऐसी स्तिथि में मरीज को इलाज मिलने में परेशानी हो सकती है। जिले के 15 चिकित्सकों को यह भी कहा गया है कि जिन अस्पतालों में वह बैठते हैं वहां सीसीटीवी की पूर्ण व्यवस्था रहनी चाहिए जिससे कभी भी आकस्मिक तौर पर उनके वहां होने की यथास्थिति को जांचा जा सकेगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि आगरा में जिन डॉक्टरों के नाम पर पैथोलॉजी पंजीकृत हैं वहां भी सीसीटीवी की पूर्ण व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। जिससे यह पता चल सके कि डॉक्टर पैथोलॉजी में कितने बजे से कितने बजे तक बैठते हैं। उनसे एफिडेविट मांग कर अन्य पैथोलॉजी में आने जाने का टाइम टेबल भी मंगाया गया है।
सीएमओ ने बताया कि इस समय अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन को नवीनीकरण कराने की प्रक्रिया चल रही है। जिन डॉक्टरों को नोटिस देकर जानकारी मांगी गई है अगर वह 60 दिन के अंदर यह जानकारी प्रदान करते हैं तो उनके अस्पताल का नवीनीकरण किया जाएगा। वरना रजिस्ट्रेशन कैंसिल कर अस्पताल का संचालन भी बंद कर दिया जाएगा।