Home » दीपावली पर न भूलें मिट्टी के घरौंदे की मान्यता, घर में आती है सुख-समृद्धि

दीपावली पर न भूलें मिट्टी के घरौंदे की मान्यता, घर में आती है सुख-समृद्धि

by admin

Agra. दीपावली का मतलब मिट्टी के दीये, लड़ियां-झालर, रंगोली, लक्ष्मी-गणेश की पूजा और पटाखों की मस्ती। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कुछ यादों का झरोखा भी यह पर्व लेकर आता है जो भारतीय संस्कृति और परंपरा दोनों से जुड़ा हुआ है। एक समय ऐसा भी हुआ करता था जब घर-घर में दीपावली पर मिट्टी के घरौंदे बनाने को लेकर बच्चे उत्साहित रहते थे। घरौंदों की चटखीले रंगों से पुताई कर उस पर फूल-पत्ती बनाकर सजाते थे। खील-बताशे रख उसे भरा जाता था।

बदलते परिवेश में हम इन परंपराओं को ही भूलने लगे हैं। लेकिन आज भी कुछ ऐसे परिवार हैं जो घरों ने की परंपरा और भारतीय संस्कृति में इसकी जगह को पहचानते हैं। इसीलिए लक्ष्मी गणेश और सरस्वती की मूर्तियां खरीदने के साथ घरोंदों को भी खूब खरीदा जाता है।

मिट्टी के घरौंदे की मान्यता

नामनेर में इस समय मूर्तियों का बाजार खूब सजा हुआ है। लोग बढ़-चढ़कर दीपावली पूजन के लिए लक्ष्मी गणेश और सरस्वती मां की मूर्तियां खरीद रहे हैं लेकिन इसके साथ-साथ वह मिट्टी के बने घरोंदों को भी खूब खरीद रहे हैं। रंग-बिरंगे यह घरौंदे सभी के आकर्षण का केंद्र है। जिन लोगों को घरौंदे की पूरी जानकारी है वह बिना घरौंदे खरीदे हुए वापस नहीं जा रहा है।

लक्ष्मी गणेश पूजन के दौरान घरौंदे को खील और बताशों से भरा जाता है। मान्यता है कि जैसे खील-बताशों, खिलौनों से घरौंदे को भरा है, वैसे ही घर-परिवार भरा-पूरा रहे। अब धीरे-धीरे यह परंपरा खत्म होती जा रही है। क्योंकि युवा पीढ़ी को इसकी जानकारी नहीं है।

बच्चों को भी सिखा रहे हैं परंपरा

दीपावली पूजन के लिए मूर्तियां खरीदने आई एक महिला ने बताया कि उन्होंने मूर्तियां खरीदने के साथ-साथ घरौंदे भी खरीदे हैं। घरौंदे की अलग ही मान्यता और परंपरा है जिसे वह आज भी निभा रही है और अपने बच्चों को भी इसकी जानकारी दे रही है। जिससे हमारी युवा पीढ़ी इसकी जानकारी रखें और वह भी भारतीय संस्कृति और परंपरा के अनुसार इनका निर्वहन करते हुए त्योहारों को मनाएं।

दीपावली के दिन मिट्टी का घरोंदा बनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। मान्यता के अनुसार, कार्तिक माह की अमावस्या के दिन भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण अयोध्या वापस लौटे थे। उस दिन अयोध्या वासियों ने भगवान राम के स्वागत के लिए अपने घरों में मिट्टी से बने दीपक जलाएं और कई लोगों ने उस दिन मिट्टी के घरोंदे भी बनाए थे। साथ ही उसे तरह-तरह की चीजों के साथ सजाया था। तब से आज तक दीपावली के दिन मिट्टी के घरोंदे बनाने की परंपरा चली आ रही है।

Related Articles

Leave a Comment