Agra. अक्सर आपने फिल्मों और टीवी सीरियल्स में देखा होगा कि कोई व्यक्ति जिंदा होता है लेकिन सरकारी कागजातों में वह मर चुका होता है। वह अपने आप को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी महकमे के चक्कर लगाता रहता है लेकिन फिर भी उसकी कोई सुनवाई नहीं होती। हां, यह जरूर होता है कि कुछ सरकारी महकमे के लोग उसकी बातों पर विश्वास करते हैं लेकिन ठहरा सरकारी काम। इसलिए सभी उसे जिंदा करने के लिए अपनी जेब जरूर गर्म करवाना चाहते हैं।
भले ही यह फिल्मी या टीवी सीरियल की कहानी हो लेकिन असल जिंदगी में भी एक जीता जागता उदाहरण आगरा जिला मुख्यालय में देखने को मिला, जब एक जिंदा बुजुर्ग व्यक्ति हाथ में ‘साहब अभी मैं जिंदा हूं’ का पोस्टर और तख्ती लेकर कर डीएम कार्यालय पहुँचा। इस बुजुर्ग को इस अवस्था में देख हर कोई हैरान था, क्योंकि सरकारी मशीनरी ने अपने कागजों में इस वृद्ध को मृत दर्शा दिया है। अब यह जिंदा व्यक्ति अपने आप को सरकारी मशीनरी में जिंदा दर्शाने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहा है।
सरकारी कागजातों में मृत घोषित होने के बाद जिंदा पीड़ित भूरी सिंह अपने आप को जिंदा साबित करने की कवायदों में जुटे हुए है। उन्होंने बताया कि वह खेरागढ़ के ग्राम रहलई का निवासी है। उसे केनरा बैंक से वृद्ध अवस्था पेंशन मिलती चली आ रही है लेकिन अब पेंशन मिलना बंद हो गई है। पीड़ित ने इसकी जानकारी की तो पीड़ित को पता लगा कि उसे मृतक बता दिया गया है। जिसके चलते उसकी पेंशन बंद हो गई है।
पीड़ित का कहना है कि यह सब खेल पेंशन का है। इसीलिए तो उसे मृत घोषित करा कर उसकी पेंशन बंद करा दी गई है। अब वह जिंदा होने के बावजूद अपने जिंदा होने का सबूत ढूंढ रहा है ताकि उसे प्रपत्र मिल जाए और वह उसे जमा करके अपनी पेंशन शुरू करा सके। इसलिए परेशान होकर पीड़ित ने जिला मुख्यालय पहुंचकर जिलाधिकारी से मदद की गुहार लगाने के लिए वह खुद जिला मुख्यालय पहुंचे हैं।
जिला मुख्यालय पहुंचे हर व्यक्ति ने जब पीड़ित भूरी सिंह के हाथों में ‘मैं जिंदा हूं’ का पोस्टर देखा तो हर कोई इस दृश्य को देखकर आश्चर्यचकित था। लोगों ने जब उनसे पूछा कि इस तख्ती को हाथों में लेकर क्यों घूम रहे हैं तो उन्होंने अपनी पूरी व्यथा सुनाई। उनका दर्द जानकर हर व्यक्ति आश्चर्यचकित था लेकिन सरकारी मशीनरी में यह हो सकता है इससे भी वह हैरान नहीं थे। अब जिंदा व्यक्ति को ही अपने जिंदा होने का सबूत देना पड़े इससे बड़ी खामी अपने सरकारी सिस्टम में नहीं हो सकती है।