कोविशील्ड वैक्सीन पर अंतरिम रोक लगाने की मांग के साथ मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। इसके साथ ही 5 करोड़ रुपए का मुआवजा देने की भी मांग की गई है। दरअसल, वैक्सीन लगने के बाद गंभीर साइड इफेक्ट से जूझे 41 साल के याचिकाकर्ता आसिफ रियाज ने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर न्याय की गुहार लगाई है।
मद्रास हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और एस्ट्राजेनेका को नोटिस जारी कर दिया है । इसके साथ ही हाईकोर्ट ने ड्रग रेगुलेटरी बॉडी, ICMR, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और श्री रामचंद्र हाइयर एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर, चेन्नई से भी जवाब मांगा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 मार्च को होना तय की गई है।
याचिकाकर्ता रियाज पेशे से मार्केटिंग कंसल्टेंट हैं। उनके मुताबिक, उन्हें कोरोना के लिए एंटीजन और एंटीबॉडी टेस्ट के बाद एक अक्टूबर को वैक्सीन की खुराक दी गई थी, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। हालांकि, 11 अक्टूबर को तेज सिरदर्द की वजह से सुबह वे जल्दी जाग गए। दर्द इतना बढ़ गया कि उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। उन्हें कमजोरी भी महसूस हो रही थी।
उन्होंने कहा कि उन्हें कई परीक्षणों के बाद इस बात का पता चला कि उन्हें गंभीर न्यूरो इंसेफैलोपैथी है। इस बीमारी के कारण मस्तिष्क और व्यक्तित्व पर प्रतिकूल असर पड़ता है। याददाश्त भी कमजोर होती है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी आती है।
साइड इफेक्ट महसूस किए जाने के बाद उन्हें श्री रामचंद्र मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया, जहां उन्हें वैक्सीन लगाई गई थी। उन्हें अगले दिन ICU में शिफ्ट कर दिया गया, जहां उन्हें 20 अक्टूबर तक उपचार मिला। उसके बाद उन्हें अगले दिन एक सामान्य वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया, जहां वे 26 अक्टूबर तक रहे।याचिकाकर्ता रियाज का कहना है कि जिन शिकायतों के बारे में बताया है उनके मुताबिक, वह टीका लगवाने के बाद न्यूरो इंसेफैलोपैथी से पीड़ित हुए और उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया, लेकिन वैक्सीन निर्माता ने इन बातों को मानने से इनकार कर दिया
याचिकाकर्ता ने कोवीशील्ड वैक्सीन लेने के बाद होने वाली मौतों के आंकड़े के बारे में न्यूज रिपोर्ट्स का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि वैक्सीन सुरक्षित नहीं है और इससे साइड इफेक्ट के गंभीर मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि, केंद्र सरकार ने स्पष्ट दावा किया है कि वैक्सीनेशन के बाद होने वाली मौतों और गंभीर साइड इफेक्ट के लिए वैक्सीन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।