आगरा। प्रदेश सरकार द्वारा आगरा शहर का नाम अग्रवन रखे जाने की कवायद की जा रही है। सरकार ने इससे संबंधित ऐतिहासिक साक्ष्य आगरा विश्वविद्यालय से मांगे है। आगरा विश्व विद्यालय इससे संबंधित साक्ष्य खंगालने में लगा हुआ है लेकिन इसी बीच इस मुद्दे को लेकर राजनीति गरमाने लगी है। भाजपा नेता जहाँ इसका समर्थन कर रहे हैं तो विपक्षी पार्टी नेताओं के तीखे बयान भी आने लगे हैं।उत्तर प्रदेश कांग्रेस की महासचिव शबाना खंडेलवाल ने आगरा शहर के नाम को बदलने की चल रही कवायद पर एतराज जताया है।
शबाना खंडेलवाल ने कहा कि आगरा सुलह-कुल की नगरी है। इसकी फिजा बिगाड़ने के लिए माहौल बनाया जा रहा है। मोहब्बत की इस नगरी का नाम आगरा वर्षों से देश-विदेश में चर्चित है। लोग आगरा का नाम अच्छी तरह से जानते है। इसका नाम बदलने से पर्यटको में भ्रम पैदा हो जाएगा। आगरा का नाम बदलने की कोशिश की जा रही है जिसकी हम घोर निंदा करते हैं। अगर ऐसा हुआ तो इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
काँग्रेस की वरिष्ठ नेत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अजय सिंह बिष्ट से अपना नाम योगी आदित्यनाथ रख लिया इस वजह से वह शहरों के नाम बदले जा रहे हैं। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। अगर कुछ बदलना ही है तो प्रदेश के हालातों को बदलें जिससे युवाओं को रोजगार मिले। किसान आत्महत्या करना बंद करें। व्यापारी भयमुक्त होकर व्यापार कर सके। आगरा शहर का नाम बदलने से क्या होगा। क्या बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल जाएगा, आगरा का विकास होना शुरू हो जाएगा? हमें ऐसा नहीं लगता।
शबाना खंडेलवाल ने बीजेपी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि भाजपा कहती है देश की जीडीपी बढ़ रही है, मैं भी कहती हूं भाजपा सही कहती है। परंतु भाजपा के लिए जीडीपी का मतलब कुछ और है। जीडीपी का मतलब जी से गैस, डी से डीजल, पी से पेट्रोल के दाम। जो आज आसमान छू रहे हैं। इन्हें कम करने के लिए सरकार कोई ठोस कदम उठाना नही चाहती जबकि इनके दाम बढ़ने से सीधा असर गरीब की थाली पर पड़ता है। इस सरकार को गरीब व किसान की फिक्र नही है बल्कि उन्हें शहरों के नाम बदलने की चिंता है।