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सीएम योगी का बड़ा ऐलान, कान्हा की धरती से मांस-शराब की बिक्री होगी बंद

by admin
CM Yogi's big announcement, sale of meat and liquor will be stopped from Kanha's land

मथुरा। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रमों में सम्मिलित होने और श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर भगवान के दर्शन करने सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मथुरा पहुंचे थे। इस मौके पर उन्होंने रामलीला मैदान में आयोजित एक जनसभा को भी संबोधित किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मथुरा के वृन्दावन, गोवर्धन, नन्दगांव, बरसाना, गोकुल, महावन और बलदेव में जल्द ही मांस और शराब की बिक्री बंद कर इन कार्यों में लगे लोगों का अन्य व्यवसायों में पुनर्वास किया जाएगा।

सीएम ने कहा, चार वर्ष पूर्व 2017 में यहां की जनता की मांग पर मथुरा और वृन्दावन नगर पालिकाओं को मिलाकर नगर निगम का गठन किया गया था। फिर यहां के सात पवित्र स्थलों को राजकीय रूप से तीर्थस्थल घोषित किया। अब जनता की कामना है कि इन पवित्र स्थलों पर शराब और मांस की बिक्री न की जाए, तो मैं आश्वस्त करता हूं कि ऐसा ही होगा। उन्होंने इसके लिए जिला प्रशासन को जरूरी कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा, जो लोग इन कार्यों से जुड़े हैं, उन्हें अन्य कार्यों का प्रशिक्षण देकर उनका पुनर्वास किया जाना चाहिए। उन लोगों की व्यवस्थित रूप से काउंसलिंग की जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा, अच्छा होगा कि जो इस काम में लगे हैं उनके लिए दुग्धपालन के छोटे-छोटे स्टॉल बना दिए जाएं।

मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया, हमारा उद्देश्य किसी को उजाड़ना नहीं है। बस, व्यवस्थित पुनर्वास करना है और व्यवस्थित पुनर्वास के काम में इन पवित्र स्थलों को इस दिशा में आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। ब्रज तीर्थ विकास परिषद यहां के जन प्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर योजनाएं तैयार करे।

योगी आदित्यनाथ ने कहा, ब्रज भूमि को पुनः नए कलेवर के साथ विकास की दिशा में ले जाना है। विकास के लिए हम कहीं कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। और आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विकास भी हो, यही हमारी विरासत है, उसे हमें सहेजना है। उन्होंने कहा, रामनाथ कोविंद आज़ादी के बाद देश के पहले राष्ट्रपति हैं जिन्होंने रामलला के दर्शन किए हैं। इसी प्रकार, नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अब तक रामलला के दर्शन किए हैं। भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हमारे इन सभी देव विग्रहों की पूजा करने, दर्शन करने में पहले की सरकारों को भय रहता था कि कहीं उन पर साम्प्रदायिक होने का लेबल न लग जाए

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