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गंगाजल की उपलब्धता को लेकर भाजपा विधायक ने पूर्व मंत्री पर साधा निशाना, कहा- उन्हें नहीं है प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी

by admin

आगरा में अभी गंगाजल पूरी तरह से लोगों के घर भी नहीं पहुंचा है कि उससे पहले ही गंगाजल को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। हैरानी की बात यह है कि गंगाजल पर विपक्षी कोई सवाल नहीं उठा रहे हैं बल्कि भारतीय जनता पार्टी के अंदरूनी खेमे में ही गंगाजल पर सियासत की हलचल पैदा हो रही है। मालूम हो कि सरकार के सहकारी बैंक के चेयरमैन व पूर्व मंत्री महेंद्र अरिदमन सिंह ने करोड़ों के इस गंगाजल प्रोजेक्ट पर ही सवालिया निशान लगाया था। उनका कहना था कि 2026 के बाद गंगाजल का यह प्रोजेक्ट कारगर नहीं होगा, उनके अनुसार 500 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी जब लोगों को 2026 के बाद पानी नही मिलेगा तो इस योजना का क्या फायदा, वहीं इस सवाल के बाद सत्ताधारी विधायकों ने पूर्व मंत्री राजा अरिदमन सिंह के इस बयान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनको प्रोजेक्ट की कोई जानकारी ही नही है। 

पहले तो आगरा में गंगाजल आने को लेकर सत्ताधारी जनप्रतिनिधियों में इसका श्रेय लेने की होड़ मची रही। किसी ने अपने आपको भागीरथ बताया तो किसी ने दावा किया कि पिछले कई वर्षों से उनके द्वारा किये गए प्रयासों से ही गंगाजल प्रोजेक्ट योजना अमल में आ सकी। अब गंगाजल की आपूर्ति पूरे शहर में शुरू नहीं हो पाई है कि पूर्व मंत्री राजा अरिदमन ने वर्ष 2026 तक ही गंगाजल उपलब्ध होने की बात कहते हुए नया विवाद सामने खड़ा कर दिया है।

राजा अरिदमन सिंह ने अपनी ही सरकार के इस प्रोजेक्ट पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जिस तरह से आगरा की जनसंख्या और आबादी का क्षेत्र बढ रहा है, इसके हिसाब से 140 क्यूसिक गंगाजल 2026 के बाद पूरे ​शहर की प्यास नहीं बुझा पाएगा। इस समस्या के लिए यमुना बैराज एक बडा प्रोजेक्ट है। हमें इस प्रोजेक्ट पर ध्यान देना होगा और इस प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने के लिए काम करना होगा जिससे इसे समय से पूरा किया जाए। इसके साथ ही अन्य विकल्पों की भी तलाश की जाए।

भाजपा विधायक रामप्रताप चौहान से जब गंगाजल की उपलब्धता को लेकर पूर्व मंत्री के सवालिया निशान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि पूर्व मंत्री साहब को कोई जानकारी ही नही है, उनके अनुसार जब तक गंगा है तब तक गंगाजल है। पूर्व मंत्री को गंगाजल प्रोजेक्ट के बारे में पूरी जानकारी भी नहीं है। 

बहरहाल एक बात तो तय है कि अभी आगरा को गंगाजल की सौगात पूरी तरह से मिल भी नहीं पाई है कि उससे पहले ही गंगाजल पर राजनीति जरूर शुरू हो गई। अब देखना यह होगा कि भाजपा की इस अंदरूनी राजनीति का परिणाम आगे क्या निकलता है।

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