आगरा। एससी एसटी एक्ट जब से संशोधन के बाद संसद से पास हुआ है तब से देशभर में इसके विरोध भी शुरू हो गए हैं। पिछड़ा व समस्त समाज सभी इस नए एक्ट को काला कानून बनाते हुए लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। धीरे-धीरे छोटे शहरों, गली मोहल्लों से उठती हुई आवाजें देशभर की गलियों में गूंजने लगी है तो वहीं अब सत्ता के गलियारे भी इस ओर ध्यान देने लगे हैं। लगातार उठ रही आवाजें अब धीरे-धीरे शोर बन रही है और विरोध अब एक आंदोलन का स्वरूप लेता जा रहा है जिसके चलते 6 सितंबर को आगरा बंद का आह्वान किया गया है।
अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद निरंतर इस एक्ट का विरोध कर रही है और अब एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुमित गुप्ता के नेतृत्व में संवाद पिछड़ों अल्पसंख्यकों को जोड़ते हुए सर्व समाज संघर्ष समिति बनाई गई है जो कि इस बंद का पूरी तरह से समर्थन कर रही है।
6 सितंबर के बंद को पूरी तरह से सफल बनाने के लिए रणनीति तैयार की जा रही है। संघर्ष समिति की ओर से पंफ़लेट बनाए गए हैं जिन्हें सभी बाजार कमेटियों व विभिन्न समाजों के प्रबुद्ध जनों के पास भेजा जा रहा है और लोगों को इस काले कानून की कमियों के बारे में बताया जा रहा है। संघर्ष समिति का कहना है कि यह कानून समाज को बांटने वाला है लिहाजा इसे वापस लिया जाना चाहिए।
6 सितंबर के बंद को लेकर संघर्ष समिति का कहना है कि यह विरोध स्वरूप तो होगा लेकिन कानून के दायरे में रहेगा। दो अप्रैल को जिस तरह से पूरे देश भर में उपद्रव किया गया हिंसा की गई, तोड़फोड़ की गई, आगजनी अराजकता का माहौल देश भर की सड़कों पर देखा गया, ऐसा कुछ नहीं होगा। एक संवैधानिक तरीके से कानून के दायरे में रहते हुए इस कानून का विरोध किया जाएगा और सरकार तक अपनी बात पहुंचाई जाएगी।
सर्व समाज का कहना है कि देखने में आया कि अभी तक राजनीतिक दल इस बारे में बोलने से बच रहे हैं लेकिन यह एकमात्र ऐसा फैसला है जिसके बाद देशभर के सभी सांसदों विधायकों को कहीं ना कहीं विरोध का सामना करना पड़ रहा है। अगर सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला तो आगामी चुनाव में कहीं ना कहीं इसका खामियाजा केंद्र सरकार से लेकर स्थानीय सरकारों को भी भुगतना पड़ेगा।