आगरा। कोरोना से बचाव के लिए तमाम गाइडलाइंस जारी करने के बाद भी शहर में कोरोना संक्रमित से जुड़े ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जो या तो बड़े अस्पताल से जुड़े चिकित्सक के रूप में हैं या फिर मरीजों ने अस्पतालों में इलाज कराया और बाद में जांच में भी कोरोना पॉजिटिव निकले। जमातियों के कोरोना संक्रमित मामले के बाद आगरा शहर में बड़ी तादाद में निजी अस्पतालों से जुड़े कोरोना के मामले आ चुके हैं। आज भी न केवल एक बड़े नामी अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक में कोरोना की पुष्टि हुई है बल्कि बीते दिनों एक कोरोना संक्रमित महिला मरीज की हिस्ट्री में यह सामने आया कि उसने कुछ दिन पहले एक सेंटर में डाइलिसिस करायी थी, जिसके चलते उस सेन्टर को सील करने के साथ ही वहां काम करने वाले कर्मचारियों को क्वॉरेंटाइन किया गया गया है। वहीं वरिष्ठ चिकित्सक के रूप में कोरोना संक्रमित का मामला सामने आने के बाद आगरा में अब कोरोना का आंकड़ा 149 पहुंच गया है।
बताते चलें कि शहीद नगर क्षेत्र की 40 साल की महिला मरीज में कोरोना की पुष्टि हुई है, यह महिला मरीज आठ अप्रैल को हरीपर्वत क्षेत्र के डायलिसिस सेंटर पर गई थी, वहां डायलिसिस कराई थी। यह जानकारी सामने आने के बाद डायलिसिस सेंटर के कर्मचारियों को क्वारंटाइन किया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले हाईवे स्थित अस्पताल में डायलिसिस करा चुके मरीज में कोरोना की पुष्टि हुई थी, इसके बाद हॉस्पिटल को बंद करा दिया गया था और कर्मचारियों को क्वारंटाइन किया कर दिया था।
वहीं दूसरी ओर हरीपर्वत क्षेत्र के एक बड़े अस्पताल के 38 वर्षीय गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर में कोरोना की पुष्टि हुई है। उन्हें एसएन में भर्ती किया गया है, डॉक्टर द्वारा देखे गए मरीजों का ब्यौरा जुटाया जा रहा है, जिससे उनकी स्क्रीनिंग कराई जा सके।
निजी अस्पतालों और मरीजों से जुड़े इन मामलों को ध्यान में रखते हुए आखिरकार अब आगरा का जिला प्रशासन नींद से जाग गया है। जिला प्रशासन ने निजी अस्पतालों को अपने यहां भर्ती मरीजों को अन्य अस्पतालों में ट्रांसफर करने पर रोक लगा दी है। विशेष किट पहनकर ही मरीजों का ईलाज़ करना होगा। 15 बेड से ऊपर वाले निजी अस्पतालों को अपने कर्मचारियों का पूरा डाटा और उपस्थिति रजिस्टर साथ रखने के साथ भर्ती हुए मरीज और उनसे मिलने वाले संबंधियों का आंकड़ा भी सुरक्षित रखना होगा ताकि भविष्य में यदि कोई केस निकलता है तो उसे ढूंढने में आसानी हो।