मथुरा। कहा जाता है कि अगर आप पीड़ित है और उसके खिलाफ आपने आवाज नही उठाई है तो आप भी उतने ही गुनहगार है जितना कि वो व्यक्ति जो आप का शोषण कर रहा है लेकिन आज के समय में शायद परिस्थतियां बदल गयी है। इसलिए तो अपनी आवाज उठाने और इंसाफ पाने के लिए पीड़ित व्यक्ति को अपनी जान तक गवानी पड़ रही है। ऐसी ही एक घटना मथुरा के सुरीर थाना क्षेत्र की है। पीड़ित पति-पत्नी की आवाज सिस्टम से न्याय पाने के लिए उठी थी। कानून की चौखट पर जब सुनवाई नहीं हुई तो आवाज चीखों में बदल गई। चीखें भी ऐसी जो जिंदगी और मौत के बीच जंग के मुहाने तक ले आईं। सिस्टम की आंखें भी तब खुलीं, जब पीड़ित पति-पत्नी ने थाना परिसर में न्याय की गुहार लगाते हुए आत्मदाह कर लिया। बेशक इस घटना की गूंज मथुरा से लेकर लखनऊ तक गूंजी हो,पुलिस हरकत में आई हो लेकिन उसका कोई फायदा नहीं।
इस घटना में करीब 50 फीसदी से अधिक जले पति की इलाज के दौरान मौत हो गयी और अब पत्नी ने भी उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। पीड़ित पत्नी-पत्नी ने भले ही इंसाफ की दरकार में अपनी जान गवाई हो लेकिन इसके साथ इस सिस्टम को आइना दिखा गए कि दबंगों के आगे आज भी मजलूम बेबस हैं।
मामला मथुरा के सुरीर थाना क्षेत्र का है। बीती 23 गांव के एक दबंग ने महिला चंद्रवती से मारपीट कर दी थी। थाने शिकायत लेकर पहुंची चंद्रवती और उसके पति जोगेंद्र को पुलिस ने मेडिकल का पर्चा थमा दिया। मेडिकल में चंद्रवती के चोटों की पुष्टि हुई लेकिन उसके बावजूद दंपती की तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। उधर गांव में दबंग धमकियां देता रहा। खौफ और अपमान के चलते जोगेंद्र और चंद्रवती ने सुरीर थाना में सुबह के वक्त पहुंचकर केरोसिन डालकर खुद को आग के हवाले कर लिया। इस पूरी घटना का लाइव वीडियो उनका 15 साल का बेटा बना रहा था। जब तक पुलिसकर्मी आग को बुझा पाते, पति पत्नी दोनों ही 50 फीसद से अधिक जल चुके थे।
इस घटना की गूंज लखनऊ तक गूंजी तो आई जोन तक पीड़ित के बच्चों से मिलने पहुँचे और दबंग को तुरंत गिरफ्तार भी किया गया। मथुरा के पुलिस कप्तान शलभ माथुर ने मामले में तीन पुलिसकर्मियों को तत्काल निलंबित कर दिया और एडीजी आगरा जोन ने मामले की जांच एसपी सिटी से कराई। आरोपित की गिरफ्तारी भी हो गई।
मथुरा प्रशासन ने जोगेंद्र और उनकी पत्नी चंद्रवती को गंभीर हालत में उपचार के लिए दिल्ली सफदरजंग अस्पताल भेजा था। जहां जोगेंद्र की मृत्यु एक सितंबर को हो गई थी। चंद्रवती की हालत भी चिंताजनक बनी हुई थी। उनकी मौत शुक्रवार देर रात हो गई। दंपती की मौत के बाद पूरे गांव में सन्नाटा पसरा है। शनिवार सुबह किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। दंपति की मौत के बाद पुलिस प्रशासन भी हरकत में है और सतर्क नजर आ रहा है पुलिस के आला अधिकारियों ने ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए फोर्स तैनात कर दिया है जिससे किसी भी स्थिति से निपटा जा सके।
फिलहाल कुछ भी हो लेकिन कहा जाता है कि पुलिस आपकी मदद के लिए है लेकिन इस घटना ने सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं पुलिस के आला अधिकारी भले ही अधीनस्थों को हर पीड़ित की सुनवाई और उसे इंसाफ दिलाने के दिशा निर्देश देते हो लेकिन अधीनस्थ इन निर्देशों को हवा में उड़ा देते हैं जिससे साफ है कि आज भी एक गरीब व्यक्ति न्याय पाने के लिए भटकता रहता है और न्याय ना मिले तो उसे सिस्टम को झकझोरने के लिए आत्मदाह जैसा कदम उठाना पड़ता है।