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बहुचर्चित गुलाटी हत्याकांड में आया फैसला, आरोपी भतीजे को सश्रम आजीवन कारावास की सजा

by admin
Attachment order against the CO in Agra, the court's strict stand

Agra. लगभग 6 वर्ष पहले खंदारी स्थित मास्टर प्लान रोड निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता प्रवीन कुमार गुलाटी की पत्नी रमा गुलाटी और बेटी दीक्षा की नृशंस हत्या व लूट में आरोपी भतीजे गौरव गुलाटी को साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने दोषी पाया। कोर्ट ने उसे सोमवार को तलब करने के बाद सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अर्थदंड भी लगाया गया है। स्पेशल जज दस्यु प्रभावी क्षेत्र मोहम्मद राशिद की कोर्ट में यह मामला विचाराधीन था और आज उन्होंने आरोपी को सजा सुनाकर जेल भेज दिया।

जून 2015 में हुई थी घटना

घटना 23 जून 2015 को हुई थी। अधिवक्ता प्रवीन गुलाटी की पत्नी रमा गुलाटी और बेटी दीक्षा की लाशें घर में मिली थीं। मामले में हत्या और लूट का मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले की विवेचना तत्कालीन थाना प्रभारी शेलेश कुमार सिंह ने की। विवेचना में प्रवीन गुलाटी के छोटे भाई के बेटे गौरव गुलाटी उर्फ दीपेश गुलाटी के नाम का पता चला। वह प्रतापपुरा का रहने वाला था। उसे 28 जून 2015 को हिमाचल प्रदेश के कासौल से गिरफ्तार किया गया। उसे जेल भेजा गया था।

मामले में 16 लोगों की हुई गवाही

मामले में 17 दिसंबर 2015 को गौरव के खिलाफ हत्या, लूट, बरामदगी और साक्ष्य मिटाने की धारा में आरोप पत्र दाखिल किया गया। कोर्ट में 12 अप्रैल 2016 को विचारण शुरू हुआ। 25 में से 16 की गवाही हुई। इनमें छह गवाह ऐसे थे, जो पुलिस की चार्जशीट में शामिल नहीं थे। इनमें विधि विज्ञान प्रयोगशाला के वैज्ञानिक और सिम प्रदाता कंपनी के मैनेजर भी शामिल थे। गौरव गुलाटी खुद को बेकसूर बताता रहा। मगर, स्पेशल जज दस्यु प्रभावी क्षेत्र मोहम्मद राशिद फोरेंसिक साक्ष्य, परिस्थितिजन्य साक्ष्य और गवाहों की गवाही के आधार पर उसे दोषी पाया।

सजा में ये बने अहम कड़ी

एडीजीसी क्राइम आदर्श चौधरी ने बताया कि मुकदमा अज्ञात में लिखा गया था। हत्या की जानकारी पर प्रवीन गुलाटी के परिवार सहित रिश्तेदार घर पहुंचे थे। इनमें उनके भाई का बेटा गौरव नहीं था। इससे उस पर पुलिस का शक गया। उसकी लोकेशन घटना के समय प्रवीन गुलाटी के घर के आसपास खंदारी क्षेत्र की (दो से ढाई घंटे) आई। इसके बाद उसकी लोकेशन हिमाचल प्रदेश के कासौल की आने लगी। इस पर पुलिस टीम कासौल पहुंची, जहां से गौरव को पकड़ लिया गया। उसके पास से घर से लूटे गए गहने और रुपये बरामद हुए। उसकी दोनों हाथ की कलाई पर नाखूनों से खरोंच के निशान थे, जैसा कि हत्या के दौरान संघर्ष के दौरान बने हों। वहीं घर में टाइल्स पर खून मिला था। इसे जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया था। खून के मिलान के लिए आरोपी गौरव का भी खून का सैंपल कोर्ट आदेश पर जिला अस्पताल में लिया गया। लखनऊ विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट में उसके खून की पुष्टि हुई। इसे कोर्ट में पेश किया गया। संघर्ष के दौरान खून गौरव का बहा था। यह साक्ष्य सजा दिलाने में अहम रहे। इनके अलावा पुलिस ने चार्जशीट में 25 गवाह बनाए गए थे। मगर, 16 लोगों की गवाही अहम रही। इनमें वादी, विवेचना अधिकारी, अन्य अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे। दोषी ने लूट के दौरान रमा गुलाटी की हत्या की थी। उनकी बेटी दीक्षा विकलांग थी। मगर, उसने चचेरे भाई को देख लिया था। इसलिए दोषी ने उसकी भी हत्या कर दी।

इन्होंने की प्रभावी पैरवी

सत्र परीक्षण में अभियोजन की ओर से वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी जय नरायन गुप्ता, अभियोजन अधिकारी मनीष कुमार, सहायक शासकीय अधिवक्त आदर्श कुमार चौधरी और उत्तम चंदेल, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रताप स्वामी मेहरा, विजय आहूजा, विमू आहूजा और वादी अधिवक्ता प्रवीन कुमार गुलाटी ने प्रभावी पैरवी की।

सजा और अर्थदंड

स्पेशल जज दस्यु प्रभावी क्षेत्र मोहम्मद राशिद ने धारा 302 के अपराध में सश्रम आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा आरोपी को सुनाई। इतना ही नही धारा 394 के अपराध में सश्रम आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा, धारा 201 के अपराध में तीन वर्ष के सश्रम कारावास और 20 हजार रुपये का अर्थदंड, धारा 411 के अपराध में दो वर्ष के सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई।

‘अपमान का लिया बदला’

एडीजीसी आदर्श चौधरी के मुताबिक, पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने कबूला था कि अधिवक्ता प्रवीन गुलाटी की बड़ी बेटी की शादी में वह पिता सुनील और बहन अंकिता के साथ गया था। उसकी ताई रमा ने पिता को शराब पीने पर डांट दिया था। वहां से भगा दिया था। बहन को गर्भवती होने के कारण डांस करने रोक दिया था, वह रोने लगी थी। गौरव को लगा था कि ताई ने बहन और पिता को अपमान किया। इसलिए रमा गुलाटी की हत्या की। दीक्षा ने उसे देखकर पहचान लिया था। इसलिए उसकी हत्या की। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में उसके बयान का उल्लेख किया। मगर, आरोपी ने कोर्ट में यह स्वीकार नहीं किया।

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