Agra. शहरी गरीबों के लिए गणपति बिल्डर्स द्वारा बीएसयूपी योजना के अंतर्गत 127 करोड़ की लागत से 3614 के लगभग मकान बनाए थे। इसका लगभग आधा भुगतान बिल्डर को हो चुका है और बाकी आधे भुगतान के लिए गणपति बिल्डर्स ने जब मांग की तो एडीए ने बाकी भुगतान देने से मना कर दिया जिसके बाद आवास विकास प्राधिकरण आगरा और गणपति बिल्डर्स के बीच जंग सी छिड़ गई है। बिल्डर ने एडीए से 35 करोड़ रुपये का भुगतान लेने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया है जिसके जवाब में एडीए ने भी 67 करोड़ रुपये का दावा किया है। आगरा विकास प्राधिकरण कई तथ्य प्रस्तुत करते हुए कहा है कि यह मकान जब रहने योग्य नहीं है तो इनका भुगतान कैसे किया जा सकता है।
शहरी गरीबों के लिए नरायच में बनाए गए 3614 मकान भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए हैं। इनके निर्माण में हुए भ्रष्टाचार के कारण यह मकान किसी के रहने योग्य ही नहीं रहे हैं। शहरी गरीबों को आवंटित होने से पहले इन जर्जर मकानों की शिकायत की गई तो इसकी जांच आईआईटी रुड़की की टीम ने इसकी जांच की। इन घरों को रहने ना योग बताते हुए अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी और बेसिक सर्विसेज फॉर अर्बन पूअर (बीएसयूपी) योजना में 127 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए 3614 मकानों को ध्वस्त करने की संस्तुति की।
आगरा विकास प्राधिकरण ने 127 करोड़ रुपये मेें से 67 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है, जबकि 35 करोड़ रुपये का कार्य पूरा कर लिया है। बिल्डर ने इसके भुगतान की मांग की तो एडीए उपाध्यक्ष डा. राजेंद्र पैंसिया ने भुगतान से इंकार कर दिया और पहले दिए गए 67 करोड़ रुपये वापस मांगे। एडीए का तर्क है कि घटिया क्वालिटी के बने भवन जब रहने लायक ही नहीं तो भुगतान क्यों दिया जाए। इस पर गणपति बिल्डर ने हाईकोर्ट के ट्रिब्यूनल में आर्बिटेशन किया। जबाव में एडीए ने 67 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा है।
एडीए उपाध्यक्ष डॉ राजेन्द्र पैंसिया ने बताया कि नरायच के घटिया भवनों को बनाने वाले बिल्डर से हर्जाना वसूलने के लिए ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया है। जब 67 करोड़ रुपये देने के बाद मकान रहने लायक बने ही नहीं तो भुगतान कैसा। बिल्डर से वसूली करेंगे। एडीए हाइट्स में भी हमने ठेकेदार से 15 करोड़ की वसूली की है। जो अधिकारी, इंजीनियर दोषी हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखेंगे।