आगरा के गुरुद्वारा गुरु का ताल पर हर साल शरद पूर्णिमा की रात में अस्थमा की दवाई दी जाती थी। यह दवाई खीर में मिलाकर दी जाती थी। इसे लेने के लिए बड़ी दूर-दूर से लोग गुरुद्वारे में आते थे, लंबी—लंबी लाइनें लगती थी। संत बाबा प्रीतम सिंह इस दवाई को लोगों में वितरित करते थे। पिछले कई सालों से ऐसा चला आ रहा था लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।
गुरुद्वारा गुरु का ताल के संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि पिछले साल कोरोना के कारण दवाई नहीं बांटी थी। इस बार कोरोना के साथ डेंगू बुखार फैल रहा है। इस कारण इस बार एहतियात के तौर पर इस बार भी दवा नहीं बांटी जाएगी।
दरअसल, यह दवाई मिट्टी के बर्तन में गाय के दूध से बनी खीर और दवा मिलाकर दी जाती थी। इससे अस्थमा रोगियों को काफी आराम मिलता है। संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि इस दवा का सेवन करने के बाद मरीजों को गुरुद्वारे में चंद्रमा की रोशनी में पैदल चलने को कहा जाता है, वह भी नंगे पैर। इस दवा को खाने के बाद कुछ परहेज भी होते हैं।
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