आगरा। पूरे देश में आज विजयादशमी पर असत्य पर सत्य की जीत के रूप में लंकापति रावण के पुतले का दहन किया जाता है। लोग रावण को एक दूषित मानसिक प्रवत्ति का व्यक्ति मानते हैं पर इसके विपरीत आगरा में लोग रावण को प्रकांड पंडित, पूरे कुल का तारनहार और महान व्यावतित्व का मानकर उनकी पूजा अर्चना कर लोगों को रावण दहन न करके अपने अंदर के अहंकार के दहन करने के लिए जागरूक करते हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को विजयदशमी के अवसर पर आगरा के कैलाश मन्दिर और रामलाल वृद्ध आश्रम स्थित वृद्धेश्वर महादेव मंदिर पर भगवान शिव के साथ लंकापति रावण का पूजन, हवन और आरती की गयी। इस दौरान रावण का वेश धरकर सारस्वत ब्राह्मण डॉ मदन मोहन शर्मा ने कन्या पूजन कर लोगों को नारी सम्मान के लिए जागरूक किया। उन्होंने कहा कि अगर लोग महाराज प्रकांड विद्वान रावण के बारे में जानेंगे तो वो कभी भी किसी का अहित और किसी भी तरह का गलत काम नहीं कर सकेंगे।
आज शुक्रवार को विजय दशमी के अवसर पर डॉ मदन मोहन शर्मा और समिति के अन्य सदस्यों द्वारा कैलाश मंदिर और रामलाल वृद्धाश्रम के वृद्धेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव और महान पंडित रावण की पूजा अर्चना की गई। रावण के वेश में डॉ मदन मोहन सारस्वत द्वारा भगवान शिव का पूजन कर रामयुग की याद दिलाई गई। इसके बाद रावण वेश में वृद्धाश्रम में रह रही कन्याओं का पूजन कर समाज को नारी सम्मान की प्रेरणा देते हुए जागरूक किया गया। शिव तांडव स्रोत और लंकापति रावण की जयजयकार से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो गया।
बता दें कि सारस्वत ब्राह्मण खुद को लंकापति रावण का वंशज मानते हैं। सारस्वत समाज के उमाकांत सारस्वत और एडवोकेट शिव प्रसाद शर्मा ने संयुक्त रूप से बताया कि लंकापति रावण भगवान श्री राम को प्रिय थे। भगवान राम जानते थे कि बिना लंकापति की अनुमति के लंका विजय नहीं हो पाएगी। इसी कारण रामेश्वरम पर महान पंडित रावण को बुलाकर उनसे भगवान शिव का पूजन करवाया और उनसे विजय का आशीर्वाद लिया। भगवान रावण ने यह वरदान लिया था कि स्वयं भगवान उनके कुल को भवसागर पार कराएंगे। इसी लिए यह युद्ध हुआ। उन्होंने अपने एक लाख पुत्र और सवा लाख नातियों को भवसागर पार करा दिया। उनके जैसा राजा कहीं नहीं हो सकता है, जिसने पूरे राज्य को भवन के साक्षात दर्शन करवाये। रावण ने सीता को माता समान माना और कभी भी उनके चरणों के ऊपर अपनी नजर नहीं की, हालांकि कुछ चैनलों पर उन्हें गलत दिखाकर भ्रम फैला दिया गया है।
डॉ मदन मोहन शर्मा ने कहा कि भगवान राम ने रामेश्वरम की स्थापना स्वयं रावण से कराई थी और लंका पर विजय का आशीर्वाद लिया था। उस समय रावण स्वयं सीताजी को अपने साथ यज्ञ में लेकर आए थे। रावण जैैसे प्रकांड विद्वान का पुतला दहन करना भगवान श्रीराम का अपमान है।
इस दौरान प्रमुख रूप से पंडित नकुल सारस्वत, रामानुज मिश्रा, कल्लो सारस्वत, प्रवीण सारस्वत, समर्थ सारस्वत, गौरव चौहान, विशाल कुशवाह, शिवम चौहान, दीपक सारस्वत, अंकित कुमार, आलोक तिवारी मंश गोस्वामी सत्यप्रकाश सारस्वत, यतेंद्र सारस्वत, विनय शर्मा आदि मौजूद रहे तो वहीं हवन पूजा कार्यक्रम महंत सागर गोस्वामी ने संपन्न कराई।