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हरियाली तीज़ : जाने इस त्यौहार की विशेषता, पूजन करने का सही समय व विधि

by admin
Hariyali Teej: Know the specialty of this festival, the right time and method to worship

हरियाली तीज एक ऐसा पर्व है जिसका हर सुहागिन महिला को बहुत इंतजार होता है। क्योंकि इस दिन शादीशुदा महिलाएं सोलह श्रंगार करके अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। हर साल सावन मास की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। हरियाली तीज के त्योहार को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना गया है जिसे श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इसलिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है, इसके साथ इस दिन संपूर्ण शिव परिवार की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, साथ ही कुंवारी लड़किया भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए ये व्रत रखती हैं।

तो आइये हम आपको बतातें हैं पूजा का सही समय और विधि –

आज हरियाली तीज मनाई जाएगी। लेकिन तृतीया तिथि की शुरुआत 10 अगस्त को शाम 6 बजकर 11 मिनट से हो चुकी है। जिसका समापन आज शाम 4 बजकर 56 मिनट पर होगा। इस साल पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र और शिव योग में पूजा की जाएगी।

हरियाली तीज की पूजा विधि

ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती के सामने व्रत के संकल्प लें। यह व्रत पूरी तरह से निर्जला होता है। शाम के समय फिर स्नान करके पूजा प्रारंभ करें। भगवान शिव और माता पार्वती के साथ पूरे परिवार की मिट्टी की मूर्तियां बनाएं और फिर पूरे शिव परिवार की विधि विधान से पूजा अर्चना करें।

भगवान शिव को बेल पत्र अति प्रिय होते हैं तो उन्हें अक्षत पूष्प और चंदन के साथ बेलपत्र अवश्य चढ़ाएं। उसके बाद माता पार्वती को लाल चुनरी पहनाएं और सोलह श्रंगार चढाएं। भगवान गणेश को मोदक का भोज लगाएं साथ ही उन्हें सुपारी और जनेउ चढ़ाएं। फिर हरियाली तीज कथा का पाठ करने के बाद आरती करें। कहा जाता है जो सुहागिन महिलाएं हरियाली तीज का व्रत रखती हैं उन्हें अखंड सौभाग्यवती का वरदान मिलता है।

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