आगरा। देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेई के मरणोपरांत पहली बार बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से हिंदी की पाठ्यपुस्तक में उनकी कविता को शामिल किया गया था लेकिन शिक्षा विभाग ने पहली बार में ही इतनी बड़ी गलती को अंजाम दे दिया है जो चर्चा का विषय बन गयी है। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेई की जन्म तिथि को ही बदल डाला है।
कक्षा 6 की हिंदी की किताब मंजरी में पूर्व प्रधानमंत्री की जन्म तिथि को 25 दिसंबर की वजह 2 दिसंबर 1924 छाप दिया गया है। इसे देखकर हर कोई आश्चर्यचकित है और कह रहा है कि बेसिक शिक्षा विभाग से यह गलती आखिरकर कैसे हो गई। प्रदेश के 50 हजार से अधिक उच्च प्राथमिक विद्यालय में कक्षा में पढ़ने वाले लाखों बच्चों को इस किताब के माध्यम से गलत सूचना दी जा रही है जो किसी अपराध से कम नहीं है। सरकारी स्कूलों में नई किताब हाल ही में भेजी गई है। पहली बार अटल बिहारी वाजपेई की कविता “आओ फिर से दिया जलाएं” को जोड़ा गया है। कविता के नीचे लेखक के रूप में स्व. अटल बिहारी वाजपेई का जीवन परिचय दिया गया है। उसमें उनका जन्मदिन की तिथि को गलत छापा गया है तो पूण्यतिथि 16 अगस्त 2018 का जिक्र तक नहीं है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की जयंती की तिथि गलत छपना बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करती है। इससे समझा जा सकता है कि विषय वस्तु के प्रकाशन में किस तरह से लापरवाही बरती जाती है। फिलहाल सहायक निदेशक हिंदी संस्थान वाराणसी जोशी जोशी का कहना है कि गलत जन्मतिथि की जानकारी उन्हें नहीं है लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए यदि ऐसा हुआ है तो उसे ठीक किया जाएगा।