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40 जोड़ों ने एक साथ किया एकादशी उद्यापन

by pawan sharma
  • अग्रवाल महासभा बल्केश्वर द्वारा आयोजित किया गया सामूहिक एकादशी उद्यापन समारोह
  • 40 जोड़ों ने किया उद्यापन, यज्ञ के साथ कल होगा समापन

आगरा। एकादशी महारानी के जयकारों संग 26 कथाएं और श्रीहरि का सत्संग। हर तरफ भक्तिमय आनन्द और उत्साह। कुछ ऐसा ही दृष्य था वाटर वक्र्स स्थित अग्रवन में, जहां अग्रवाल महासभा, बल्केश्वर द्वारा तीसरे सामूहिक एकादशी उद्यापन समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें आगरा सहित विभिन्न स्थानों (उत्तराखण्ड, बरेली, मथुरा, टूंडला, फिरोजाबाद आदि) के 40 जोड़ों ने भाग लिया।

सर्वप्रथम विधि विधान के साथ श्रीफल अर्पित कर चैकी पूजन किया गया। इसके उपरान्त ओमकार शास्त्री के नेतृत्व में 26 ब्राह्मणों द्वारा 60 जोड़ों ने एकादशी उद्यापन की 26 कथाओं का श्रवण किया। प्रत्येक माह में कृष्ण व शुक्ल पक्ष व अधिक मास की दो कथाओं सहित 26 कथाओं के महात्म्य को समझाया। पूजन के उपरान्त ब्रह्म भोज हुआ। जिसमें यजमानों सहित उनके परिजनों व समिति के सदस्यों ने श्रद्धा भाव के साथ भाग लिया। कल गऊदान के साथ पूर्ण आहूति के साथ यज्ञ किया जाएगा।

इस अवसर पर श्रीराम अग्रवाल, रामरतन अग्रवाल, कौशल किशोर सिंघल, गिरीश अग्रवाल, पवन अग्रवाल को महासभा की ओर से माला पहनाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से संस्थापक बंगाली मल, मुख्य संयोजक मुरारीप्रसाद अग्रवाल, विनय आगरी, महेश ग्वाला, मनीष गर्ग, राजकुमार बॉबी, महेश जौहरी, अध्यक्ष नीलम अग्रवाल, पूनम गोयल, अनिता, दीपा, अंजू, शालिनी, गीता, प्रियंका, शगुन, रुचि, अंजली, मनीषा, प्रीति, माधवी, नीतू आदि उपस्थित थीं।

मोहिनी एकादशी पर नारायण ने मोहिनी रूप किया था धारण
ब्राह्मणों द्वारा मोहिनी एकादशी का महत्व समझाते हुए बताया कि वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। क्योंकि आज ही के दिन भगवान विष्णु ने दैत्यों से मुक्ति दिलाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। इसलिए आज के दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप का पूजन किया जाता है। इस व्रत को करने से मन की अशांति और जीवन के क्लेश दूर होते हैं। परिवार में सुख सम्वृद्धि और शांति आती है। सीता माता के वनवास जाने पर मन शांत रहने पर श्रीराम ने भी अपने कुल गुरु ऋषि वशिष्ठ के कहने पर एकादशी का व्रत श्रीराम ने भी किया। ऋषि वशिष्ठ ने श्रीराम को और श्रीकृष्ण ने अर्जुन को मोहिनी एकादशी का महत्व समझाया था। एकादशी का व्रत करने वालों को हमेशा सत्य बोलना चाहिए।

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