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फर्जी साइट बनाकर की 30 लाख की धोखाधड़ी, साइबर सेल टीम ने 3 शातिरों को किया गिरफ़्तार

by admin
30 lakh fraud by creating fake site, cyber cell team arrested 3 vicious people

Agra. फर्जी साइट बनाकर ऑनलाइन मास्क, दस्ताने और सैनिटाइजर बेचने के नाम पर करीब 30 लाख रुपये की ठगी करने वाले एक गिरोह को साइबर सेल की टीम ने गिरफ्तार किया है। इस गिरोह का सरगना पॉलिटेक्निक पास तुषार अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर संचालित कर रहा था। पुलिस ने गैंग की सरगना तो तुषार और उसके दोनों दोस्तों को गिरफ्तार किया है।

रकाबगंज थाना क्षेत्र के रावली में रहने वाले दिव्यकांत ने साइबर सेल से शिकायत की थी कि पिछले दिनों उसने ऑनलाइन दस्ताने मंगाए थे। इसके लिए उससे ₹41 जमा कराए गए लेकिन दस्ताने नहीं मिले। रेंज साइबर सेल ने इस शिकायत को गंभीरता से लिया और जांच पड़ताल शुरू की। ऑनलाइन ठगी के मामले में दयालबाग स्थित दयानंद नगर निवासी तुषार, थाना सिकंदरा के गांव पनवारी निवासी राहुल चौधरी और विकास को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने तीनों से उनसे चार मोबाइल, तीन सिम कार्ड, तीन आधार कार्ड, 12 डेबिट कार्ड बरामद किए हैं।

तीन साल से कर रहे थे ठगी-

पुलिस के मुताबिक आरोपी तीन साल से फर्जी साइट के माध्यम से ऑनलाइन धोखाधड़ी कर रहे है। आगरा के साथ-साथ देश के अन्य प्रदेशों में रहने वाले लोगों को भी अपना शिकार बनाया है। 3 साल में इन्होंने 30 लाख रुपये की ठगी की हैं।

फर्जी सिम का करते थे इस्तेमाल-

पुलिस के मुताबिक तीनों ही आरोपियों ने फर्जी आईडी पर सिम ले रखी थी और इन्हीं नंबरों से वो कस्टमर से बात करते थे। लोगों को व्हाट्स एप और ईमेल पर सामान की फोटो भेजते थे। अधिक गुणवत्ता वाले सामान को कम कीमत में देने का लालच देते थे। इसके बाद व्यापारी को डिब्बे की फोटो, कुटेशन, फर्जी इनवाइस भेजते, जिसमें सामान भेजने का दावा करते। व्यापारी खाते में रकम जमा कर देते थे। इसके बाद मोबाइल बंद कर लेते।

इंडिया मार्ट पर खुद को दर्शाया विक्रेता-

पुलिस के मुताबिक, आरोपी तुषार सरगना है। वह पॉलीटेक्निक पास है। पहले नोएडा के एक कॉल सेंटर में काम करता था। वहां विभिन्न राज्यों और शहरों के लोगों को उच्च गुणवत्ता वाले सेफ्टी सामान कम कीमत पर देने का काम हो रहा था। यहां से उसे सामान को बेचने का तरीका मिल गया। उसने अपने बचपन के मित्र विकास और पॉलीटेक्निक में साथ में पढ़े राहुल के साथ गैंग बना लिया। इंडिया मार्ट की वेबसाइट पर अपने आप को दस्ताने, मास्क और सैनिटाइजर का विक्रेता दर्शाने लगे। जो लोग यह सामान खरीदने के लिए वेबसाइट पर जानकारी लेते थे, आरोपी उनके मोबाइल पर कॉल करते थे।

बैंक की लापरवाही सामने आई-

गैंग के सरगना सहित अन्य सदस्य जिन खातों में रकम जमा कराते थे वह लोगों से किराये पर लेते थे। इसके लिए खाता धारक को कमीशन देते थे। आरोपियों से पूछताछ में यह भी पता चला कि वह किसी फर्म का फर्जी नाम लिखते थे। उसमें सिर्फ खाता संख्या सही होती थी। कोड तक गलत डालते थे। इसके बावजूद बैंक की ओर से रकम को खाते में जमा कर दिया जाता था। कोड को चेक तक नहीं किया जाता था।

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