Agra. किसी भी व्यक्ति का शौक जन्मजात नहीं होता लेकिन जब किसी भी चीज का शौक लग जाता है तो उस शौक को पूरा करने के लिए जोश और जुनून दुगुना हो जाता है। ऐसा ही कुछ जिला आगरा के बाह के चंबल के बीहड़ के गांव के एक युवक में देखने को मिला है। बाह के इस छात्र को कृषि के क्षेत्र में एक ऐसा शौक लग गया है कि उसने विदेशी वैरायटी के अमरुद, टमाटर, सफेद बैंगन व पपीते की उन्नत किस्म की खेती को उगाना शुरू कर दिया है। उन्नत किस्म की पैदावार व स्वादिष्ट फलों को देख आसपास के लोग यह नजारा देखने के लिए बड़ी संख्या में आ रहे हैं और उस छात्र की जमकर सराहना कर रहे है। लोग इससे प्रोत्साहित भी हो रहे हैं ।और इससे प्रेरणा ले रहे हैं कि अब गांव के अन्य युवाओं को भी उन्नत किस्म की खेती के लिए आगे आना चाहिए।जिससे कम लागत में अधिक पैदावार हो और मुनाफा ज्यादा हो।
छह भाई-बहनों में सबसे छोटे इस छात्र ने अपने चंबल के बीहड़ के इस गांव में थाईलैंड की वैरायटी की विभिन्न प्रकार की सब्जियां व फल तैयार कर लोगों को अचंभित कर दिया है। इसकी चर्चा जोरो पर दूर दूर तक हो रही है।

जानकारी के अनुसार थाना बासौनी क्षेत्र के गांव मुकुंदी पुरा निवासी सोबरन सिंह चक के तीन बेटे व तीन बेटियां हैं। जिसमें 22 वर्षीय हरिओम सबसे छोटा बेटा है। उसने आगरा के आरबीएस कॉलेज बिचपुरी से एमएससी एग्रीकल्चर से पास किया है। शिक्षा-दीक्षा पूरी होने के बाद छात्र हरिओम अपने परिवार के साथ गांव में रहने लगा है। हरिओम ने बताया कि वर्ष 2017 में वह छत्तीसगढ़ के रायपुर में अपने दोस्त अनिल चावड़ा के पास गया था। अनिल चावड़ा भी थाईलैंड जैसी किस्म की कई वैरायटी के फल व सब्जी अपने बगीचों में उगाते थे। कम लागत में अच्छी पैदावार होती थी और देशी की अपेक्षा मुनाफा दुगुना होता था। जब उसने अपने दोस्त से थाईलैंड के उन्नत किस्म के शीड्स की जानकारी ली तो उसने गांव में आकर वर्ष 2017 में अपने गांव में आकर घर के एक खेत को बगीचे के रूप में तैयार किया। करीब 5 बीघा में थाईलैंड की किस्म के बीज वाले अमरुदों का एक बाग लगाया।

एमएससी कृषि के छात्र हरिओम चक ने बताया कि उसने वर्ष 2017 में अपने बगीचे में 100 पौधे अमरुद के लगाए थे। एक पौधे पर लगभग 50 किलो फल तैयार हो जाता है। साल में दो बार इस पेड़ पर फल उगता है। थाईलैंड के इस पेड़ पर बहुत ही मुलायम, स्वादिष्ट, मीठे व कम शीड्स वाले अमरुद उगाये जाते हैं ।
आय का साधन बना खेती
एमएससी कृषि के छात्र हरिओम चक ने बताया कि उसने अपने गांव में थाईलैंड के अमरूदों का बाग अपना शौक पूरा करने के लिए लगाया था। कभी यह परिवार दो जून की रोटी के लिए भी मोहताज रहता था आज वही आय का श्रोत बन गया है। अब उसी कृषि से उसे परिवार का भरण पोषण होने लगा है। जब उसकी आय बढ़ने लगी तो उसने इसे व्यापार का एक जरिया बना लिया है। अब अमरुद के साथ-साथ विदेशी सफेद बैंगन, टमाटर व पपीता भी उगाना शुरू कर दिया है। करीब 25 सौ पौधे टमाटर के भी लगे हुए हैं। इसमें भी एक पेड़ पर करीब 25 किलो टमाटर होता है और यह करीब 3 से 4 माह तक चलता है।