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लॉयंस क्लब आफ विशाल का 21वां आई कैंप संपन्न, मोतियाबिंद के हुए 100 सफल आपरेशन

by pawan sharma
  • नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ असीम अग्रवाल का लॉयंस क्लब आफ आगरा विशाल ने किया सम्मान
  • 800 से अधिक मरीजों का किया निशुल्क इलाज, इस वर्ष रखा 125 से अधिक आपरेशन का लक्ष्य
  • डॉ असीम अग्रवाल बोले, 20 से 30 वर्ष की आयु में भी हो रही मोतियाबिंद की परेशानी

आगरा। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में लगातार मिसाल कायम करते जा रहे लॉयन्स क्लब आफ आगरा विशाल ने 21 वें निःशुल्क नेत्र रोग चिकित्सा शिविर का समापन किया। पूरे वर्ष के इस शिविर का लाभ 800 से अधिक मरीजों को मिला और मोतियाबिंद के 100 सफल आपरेशन किये गए।

गुरुवार को गांधी नगर स्थित उदपि रेस्टोरेंट में लॉयंस क्लब आफ आगरा विशाल ने नेत्र रोग चिकित्सा शिविर का समापन समारोह आयोजित किया। दीप प्रज्जवलन एवं गणेश वंदना के साथ समारोह आरंभ हुआ। पूरे वर्ष के शिविर में अतुलनीय सहयोग के लिए डॉ असीम अग्रवाल का सम्मान किया गया।

अध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल ने बताया कि क्लब द्वारा गरीबों और असहायों को निःशुल्क चिकित्सकीय सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं। इसी क्रम में पूरे वर्ष क्लब के संपर्क में आने वाले जरूरतमंद नेत्र रोगियों का निःशुल्क इलाज डॉ असीम अग्रवाल द्वारा किया जाता है। वर्ष 2023− 24 में 800 से अधिक मरीजों को डॉ असीम अग्रवाल के पास भेजा गया था जिनमें से 100 मरीजों के मोतियाबिंद के सफल आपरेशन हुए।

सचिव एवं शिविर संयोजक राकेश अग्रवाल ने कहा कि शिविर हर वर्ष अधिक संख्या में मरीजों को लाभ दे रहा है। वर्ष 2024−25 के लिए 125 से अधिक मोतियाबिंद के आपरेशन करवाने का लक्ष्य रखा गया है। वरिष्ठ सदस्य अजय बंसल ने कहा कि वर्ष 2024−25 का सेवा प्रकल्प भी आरंभ हो चुका है। प्रयास रहेगा कि अधिक से अधिक संख्या में मरीजों तक चिकित्सकीय सेवाएं पहुंच सकें।

क्लब के अध्यक्ष रविंद्र अग्रवाल, सचिव राकेश अग्रवाल, अजय बंसल, सुनील अग्रवाल, चंदर माहेश्वरी द्वारा डॉ असीम अग्रवाल को स्मृति चिन्ह एवं उपहार देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर प्रमोद अग्रवाल, शिवकुमार अग्रवाल, विष्णु गोयल, कांता माहेश्वरी, अंजू अग्रवाल, सुशील कपूर आदि उपस्थित रहे।

भ्रम में न रहें, 20-30 वर्ष की आयु में भी हो रहा मोतियाबिंदः डॉ असीम अग्रवाल
सम्मान समारोह में डॉ असीम अग्रवाल ने बताया कि मोतियाबिंद की परेशानी को कुछ समय पहले तक बुजुर्गावस्था की परेशानी माना जाता था। किंतु अब उम्र के मानक बदल चुके हैं। वर्तमान में मोतियाबिंद की परेशानी 20 से 30 वर्ष तक की आयु में भी शिकार बना रही है। उन्होंने इसके पीछे बड़ा कारण डायबिटीज के साथ ही खराब दिनचर्या, कम्प्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल का अत्याधिक प्रयोग, प्रकृति से दूरी, प्रदूषण और तनाव बताया। उन्होंने ये भी बताया कि मोतियाबिंद के आपरेशन के बाद आवश्यक नहीं है कि चश्मा हट ही जाएगा। बहुत बार मोतियाबिंद के आपरेशन के बाद भी आंखों की रोशनी पूरी तरह से नहीं लौटती। आपरेशन के बाद चश्मा अवश्य ही लगाना चाहिए। वहीं कई बार कमजोर पर्दे और नसों के कारण रोशनी पूरी नहीं आती। इसलिए समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श लेते रहना चाहिए।

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