आगरा। हरीपर्वत दिल्ली गेट स्थित टूरिस्ट बंगला पर रुद्रा इवेंट द्वारा एक मीडिया वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसका विषय था सोशल शेक अप। इस वर्कशॉप में चर्चा करने के लिए मीडिया जगत की नामी हस्तियों को बुलाया गया था जिसमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया से जुड़े विशेषज्ञ, न्यूज़ एंकर मौजूद रहे जबकि विभिन्न समाचार पत्रों, न्यूज़ चैनल, डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकारों, समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों और चिकित्सकों के अलावा कई प्रबुद्ध जनों ने इस मीडिया वर्कशॉप में शिरकत की।
यह वर्कशॉप दो सत्रों में आयोजित की गई थी जिसमें पहले सत्र में अतिथि के रुप में आए मीडिया जगत की हस्तियों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उसके बाद सभी मीडिया विशेषज्ञों ने सोशल शेक अप विषय पर अपने अपने विचार रखे।
अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ और हास्य व्यंग्य लेखक आलोक पुराणिक ने सोशल मीडिया को एक आभासी दुनिया के रूप में बताया। उन्होंने Facebook और WhatsApp पर भेजे जाने वाले मैसेज और फोटोस पर चुटीले व्यंग किए। उनका कहना था कि सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा ज्ञान, चिंतन और विचारों पर ज्यादा चर्चा होनी चाहिए।
वही इंडिया लेटर डॉट कॉम के संपादक दिनेश पाठक ने बताया कि सोशल मीडिया आज एक बिजनेस प्लेटफार्म बन चुका है। सोशल मीडिया को यूज करते करते हम कब खुद यूज होने लगे हैं यह हमको पता ही नहीं चला। हमारा सारा डाटा, सारी जानकारी सोशल मीडिया के जरिए उपलब्ध है यानी हमारी प्राइवेट लाइफ खत्म हो चुकी है। अब हम सिर्फ एक अंधी सुरंग में दौड़ रहे हैं जिसके आगे बढ़ना हमारे लिए खतरा भी साबित हो सकता है।
वही आज तक चैनल में डिप्टी एडिटर के तौर पर काम कर रहे पीयूष पांडे ने कहा कि आजकल सोशल मीडिया पर सूचना आदान प्रदान करने के साथ-साथ तेजी से जो अफवाहें वायरल होती है उन पर रोक लगाना जरूरी है जिसकी खुद से हमें शुरुआत करनी होगी। सोशल मीडिया को हम अपने ऊपर हावी ना होने दें। पीयूष पांडे ने सोशल मीडिया को ग्रामीण क्षेत्रों में प्रयोग करने पर ज्यादा जोर दिया। उनका कहना था कि आज सोशल मीडिया के जरिए जिस तरह से लोग पैसा कमा रहे हैं उसी तरह से गांव के युवा भी घर बैठे अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं।
ABP न्यूज़ चैनल में बतौर न्यूज़ एंकर काम कर रही चित्रा त्रिपाठी ने सोशल मीडिया के पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों पक्षों को सामने रखा। उनका कहना था कि समाज की सोच और मानसिकता से सोशल मीडिया भी अछूता नहीं है। यही कारण है कि हम अच्छी चीजों के बजाय बुरी चीजों पर ज्यादा ध्यान देते हैं और यही सोशल मीडिया में होता है। हालांकि उन्होंने कई उदाहरण देते हुए बताया कि सोशल मीडिया के द्वारा हम किस तरह से अच्छी चीजों और प्रतिभाओं को सामने ला सकते हैं।
नेटवर्क 10 के यूपी ब्यूरो चीफ प्रांशु शर्मा ने बताया कि सोशल मीडिया ने सबसे ज्यादा समाज, राजनीति और मीडिया को प्रभावित किया है। प्रांशु शर्मा ने दिनेश पाठक के इस बात का समर्थन करते हुए चिंता जताई कि सोशल मीडिया के जरिए हमारी सारी जानकारी धीरे धीरे एक विशेष नेट सर्वर पर इकट्ठी होती जा रही है। उन्होंने कहा कि भविष्य में अगर इन नेट सर्वर पर अगर किसी का एकाधिकार हुआ तो सोशल मीडिया से जुड़े लोगों का अस्तित्व खतरे में आ सकता है।
दूसरे सत्र में ही न्यूज़18.com के संपादक अफसर अहमद ने कहा कि सोशल मीडिया में जितनी बुराइयां है उतनी अच्छाइयां भी है। बस उसकी अच्छाइयों को देखने का नजरिया हमें बदलना होगा। सोशल मीडिया लोगों को हीरो भी बना रहा है। इससे संबंधित उन्होंने कई उदाहरण भी पेश किए। उन्होंने बताया कि Google पर ऐसे कई टूल्स है जिनकी जानकारी युवाओं को नहीं है परंतु इसके माध्यम से आप सोशल मीडिया पर फैल रही तमाम भ्रामक चीजों को रोक सकते हैं।
ETV की चीफ कंटेंट एडिटर अंजू निर्वाण ने कहा कि सोशल मीडिया वह पत्थर है जिसे तबियत से उछालने की जरूरत है। यह वह हथियार है जिससे अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो आपकी बात को हर कोई सुन सकता है और उस पर एक्शन भी हो सकता है। जैसे उन्होंने बताया कि अगर आप हैशटैग का सही इस्तेमाल करते हैं तो आपकी बात हर उस कान तक पहुंच सकती है जहां तक आप पहुंचाना उसे चाहते हैं।
न्यूज 24 की सीनियर एंकर साक्षी जोशी ने कहा कि सोशल मीडिया पर लोग सिर्फ अपनी बात कहना चाहते हैं दूसरों की बातें सुनना नहीं चाहते। सोशल मीडिया ने एक नये वर्ग को पैदा कर दिया है जो कि किताबें पढ़ना नहीं चाहते। हम सोशल मीडिया की लत की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। समाचार4मीडिया के एडिटोरियल हेड अभिषेक महरोत्रा ने सोशल मीडिया के पारदर्शी व निष्पक्ष होने पर जोर दिया।
न्यूज नेशन के वरिष्ठ एंकर अनुराग दीक्षित ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से ऐजेन्डा वादी पत्रकारिता को बढ़ावा मिल रहा है लेकिन सोशल मीडिया के प्रयोग ने हिन्दी भाषा के प्रयोग को बढ़ा दिया है। उन्होंने बताया कि संसद में महिलाओं की भागीदारी केवल 9% है लेकिन सोशल मीडिया पर 33% महिलाओं की हिस्सेदारी है।
मीडिया विशेषज्ञ द्वारा की गई चर्चा के बाद सवाल जवाब भी हुए जिसमें दर्शक दीर्घा में बैठे पत्रकारों और बुद्धिजीवियों ने अपनी अपनी शंकाओं का समाधान किया और यह जानने का प्रयास किया कि वास्तव में सोशल मीडिया से जुड़कर जो लाइफ हम जी रहे हैं वह कितनी सही है और मीडिया में इसका प्रयोग कहां तक उचित है।
कार्यक्रम में केन्द्रीय हिन्दी संस्थान आगरा के पत्रकारिता के विद्यार्थीयों ने भागेदारी की। झुग्गी मे रहने वाले प्रतिभाशाली बच्चों द्वारा गणेश वंदना प्रस्तुत की गई। संचालन प्रभजोत कौर व संजय बंसल ने किया।