आगरा। रेलवे में बीते दिनों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किए गए इंजीनियर का मामला अभी थमा नही कि एक और घोटाला सामने आ गया है। रेलवे में हुए इस घोटाले में एडीआरएम सहित पांच कर्मचारियों को भी जांच के दायरे में लाया गया है। फिलहाल इन सभी का तबादला किया गया है। सभी के विरूद्ध जांच की जा रही है।
अधिकारियों के लिए अनुबन्ध की जाने वाली टैक्सियों का घोटाला सामने आया है। डीआरएम कार्यालय में तैनात कर्मचारियों को पूरी बात मालूम चलने के बाद मामले का खुलासा हो सका है। अधिकारियों और कर्मचारियों की लामबंदी के चलते डीआरएम के हस्तक्षेप के बाद पांच अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला किया गया है। बताया जा रहा है कि एडीआरएम बीके मिश्रा का तबादला पूर्वोत्तर रेलवे में किया गया है। वहीं मूवमेट इंसपेक्टर राजीव मिश्रा चपरासी धर्मवीर और गौरेश कुमार के अलावा केपी सिंह को भी शामिल किया।
रेलवे में पहले अपनी गाडिय़ां हुआ करतीं है। कई सालों पहले वार्षिक नीति में यह बदलाव किया गया कि अब रेलवे अपनी वाहन खरीदने के साथ-साथ प्राइवेट वाहनों को भी अनुबंध पर रखा जा सकता है। इस अनुबंध में कई नियम भी बनाएं गए थे। जिसमें अनुबंध किए गए वाहनों का टैक्सी परमिट आवश्यक बताया गया था। जिसमें अधिकारियों द्वारा यह तर्क भी दिया गया था कि अनुबंध की जाने वालीं टैक्सी परमिट गाडिय़ां के आवेदक कम आने का हवाला देकर नियमों को तांक पर रखा गया। इसके बाद प्राइवेट गाडिय़ों के अनुबंध में टैक्सी परमिट की बाध्यता खत्म कर दी गई। तब से अधिकारियों के नजदीकियों और रिश्तेदारों में अपनी निजी गाडिय़ों का अनुबंध कराने की होड़ लग गई।
मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय से संचालित किए जा रहे घोटाले में कई नाम सामने आए है। नियमों को तांक पर रख कर करीब २०-२५ गाडिय़ों का अनुबंध सामने आया है। इन सभी गाडिय़ों के मोटे बिल बनवाने में भी साहब का ही हाथ बताया जा रहा है। इस प्रकार नोन टैक्सी परमिट गाडिय़ों के अनुबंध करने का खेल आगरा, मथुरा, धौलपुर, टूंडला, अलीगढ़, इटावा, कानपुर, फतेहपुर, और इलाहबाद, मिर्जापुर भी बड़े पैमाने पर चल रहा है जिससे हर महीने लाखों रुपये डकार चुके हैं।