आगरा। चंबल नदी में रविवार को मादा काल के साथ घड़ियालों की हैचिंग शुरू हो गई है। बाह के कछीयारा में 400 और नंदगवा में जन्मे 100 घड़ियाल शिशु नदी में पहुंच गए हैं। इस दौरान मादा घड़ियाल ने बालू में अंडों को कुरेद कर निकाला है फिर उनसे निकले नन्हे मेहमानों को नदी में नर घड़ियाल ने अगवानी भी की है।
पहले हैचिंग होती थी बाहर
घड़ियालों की हैचिंग के फोटो नन्हे घड़ियालों की जन्म की तस्वीरों को दिखा रहे हैं। दुनियाभर में विलुप्त स्थिति में पहुंच चुके घड़ियालों का चंबल नदी में संरक्षण हो रहा है। पहले घड़ियालों के अंडों को हैचिंग के लिए कुकरैल प्रजनन केंद्र लखनऊ में ले जाना पड़ता था। अब चंबल नदी में प्राकृतिक हैचिंग शुरू हो गई है। करीब 500 नन्हे घड़ियालों की दस्तक के साथ वन विभाग ने राजस्थान से सटे रेहा से लेकर इटावा से लगे उदयपुर खुर्द तक निगरानी बढ़ा दी है।
क्रोकोडाइल विशेषज्ञ सत्येंद्र शर्मा ने बताया इस बार समय से पहले हैचिंग सुखद है। शिशुओं को सबसे बड़ा खतरा बड़ी मछलियां और बगुला अन्य पक्षियों से रहता था और बाढ़ में भी सर्वाधिक नुकसान होता था। रेंजर अमित सिसोदिया ने बताया कि शिशु घड़ियाल करीब 5% ही जीवित रह पाते थे लेकिन अब 500 नए मेहमानों का जन्म होने के बाद वन विभाग में भी खुशी की लहर है।