आगरा। पिछले कुछ चुनावो में केंद्र की मोदी और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को लगातार झटके लग रहे हैं। इससे पहले गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीटों पर हुए उप चुनाव में भी बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी थी। गोरखपुर सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और फूलपुर डिप्टी सीएम केसव प्रसाद के इस्तीफे से खली हुई थी। दोनों सीटे हारने पर भाजपा की काफी किरकिरी हुई थी। उसके बाद हाल ही में कर्नाटक चुनाव में सर्वाधिक सीट जितने के बाद भी सरकार नहीं बना पाई तो उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीट पर मिली करारी शिकस्त ने योगी सरकार की एक बार ओर फजीहत करा दी है।
इस चुनाव में सरकार के सभी मंत्रियों के साथ खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार में उतरे थे। उत्तर प्रदेश में दूसरी बार उप चुनावो में मिली करारी शिकस्त से भाजपा में खलबली मची हुई है। भाजपा में इस हार को लेकर मंथन शुरु हो गया है तो वहीं सपा, रालोद और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी है जिसकी झलक आगरा में देखने को मिली। सपाइयों ने अतिशबाजी कर दीपावली मनाई तो वही रालोद कार्यकर्ताओं ने चौधरी चारण सिंह की प्रतिमा पर माल्यापर्ण और मिष्ठान वितरण कर जीत की ख़ुशी को सभी के साथ साझा किया।
कैराना और नूरपुर दोनों सीटें बीजेपी की झोली से छिटककर विपक्षी रालोद और सपा की झोली में आ गयी है। कैराना संसदीय सीट पर राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) की उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की उम्मीदवार मृगांका सिंह से को हराया तो नूरपुर विधान सभा सीट पर सपा के नईम उल हसन ने बीजेपी उम्मीदवार अवनि सिंह को करारी शिकस्त दी है। बता दें कि इन दोनों सीटों पर पहली बीजेपी का कब्जा था।
उत्तर प्रदेश में उपचुनावों में मिली जीत ने भाजपा के आगे एक मजबूत विपक्ष को खड़ा कर दिया है तो वहीं महागठबंधन के रूप में एक हुई सपा रालोद बसपा और कांग्रेस के मनोबल को भी बड़ा दिया है। सपा रालोद बसपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह जीत साम्प्रदायिकता फ़ैलाने वालों को करारा जबाब है। इस चुनाव के बाद भाजपा की उलटी गिनतियाँ शुरु हो गयी है। भाजपा के झुठे वायदों को जनता समझ गयी है। इसलिये भाजपा को उसी के अंदाज में जबाव दे रही है। यह जीत किसान और आम व्यक्ति की है।