आगरा। आये दिन यमुना एक्सप्रेस वे पर हो रहे हृदयविदारक सड़क हादसों ने आम व्यक्ति को झकझोर के रख दिया है। हाल ही में बस दुर्घटना में आठ लोगों की मौत हो गयी और 20 से अधिक लोग घायल हो गए थे। इस हादसे के बाद से मृतकों के परिवारों में कोहराम मचा हुआ है। यमुना एक्सप्रेस वे पर होने वाले हादसों के लिए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता के सी जैन ने सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है कि इस एक्सप्रेस वे पर गतिसीमा व यातायात नियमों का उल्लंघन हो रहा है जिसे कड़ाई से रोकने की आवश्यकता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने सूबे के मुख्यमंत्री से अपील की है कि एक्सप्रेस वे पर गतिसीमा उल्लंघन पर चालान करने के लिए एक निजी एजेन्सी को नियुक्त किया जाये, जो कन्सेश्नेयर जे0पी0 इन्फ्राटेक से गति उल्लंघन की पूरी सूचना प्राप्त कर चालान किये जाने की कागजी कार्रवाई को पूरा करे। इससे न केवल राज्य सरकार को बड़ी राशि चालान के रूप में मिलेगी अपितु इस एक्सप्रेसवे पर गतिसीमा उल्लंघन और उससे होने वाले सड़क हादसों पर भी अंकुश लग सकेगा।
पत्र में यह भी लिखा कि अगस्त-2012 से मार्च-2018 तक 2.33 करोड़ से अधिक वाहनों ने गतिसीमा का उल्लंघन किया है। यमुना एक्सप्रेसवे पर अनेकों ऑटोमेटिक नम्बर प्लेट रीडर कैमरे लगे हैं जो गतिसीमा उल्लंघन करने वाले सभी वाहनों के सम्बन्ध में सूचना उपलब्ध करा देते हैं लेकिन यातायात पुलिस या परिवहन विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। इस एक्सप्रेसवे पर वर्ष अगस्त-2012 से मार्च-2018 के बीच 4956 हादसे हुए जिनमें 718 व्यक्तियों की मौत हो गई व 7671 लोग घायल हुए।
यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येडा) से प्राप्त सूचना के अनुसार वर्ष 2012 से मार्च 2018 तक 4,956 सड़क हादसे हुए, जिनमें से 1,161 हादसे (23.42 प्रतिशत) ओवरस्पीडिंग के कारण से हुए, जबकि 595 हादसे (12 प्रतिशत) टायर फटने से हुए।
पत्र में यह भी कहा गया कि यातायात पुलिस एवं यातायात विभाग के द्वारा मानव संसाधन की कमी की बात कहकर चालान नहीं किये जाते हैं, जिसके कारण राज्य सरकार को लगभग 700 करोड़ रुपये की हानि भी हो चुकी है।