आगरा। डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक मित्तल पर लगे भ्रष्टाचार व वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच करने आई जांच समिति ने शुक्रवार को भी 10 घंटे तक पूछताछ की। रात को 8 बजे के बाद समिति वापस चली गई। समिति द्वारा जल्द ही अपनी रिपोर्ट और संस्तुतियां कुलाधिपति को सोंपे जाने की संभावना है। सूत्रों की मानें तो कुलपति ने कैसे नियम विरुद्ध कार्य किए हैं, समिति ने यह भी एक वीडियो के माध्यम से देखा। कुलपति पर इस बात का कोई जवाब भी नहीं था।
बता दें कि अधिवक्ता डॉ. अरुण कुमार दीक्षित ने कुलपति प्रो अशोक मित्तल पर भ्रष्टाचार व वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे। 5 जुलाई को उन्हें कुलाधिपति ने कार्य से विरत कर दिया था। कुलाधिपति ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में जांच को कमेटी गठित कर दी थी। वह कुलपति पर लगे आरोपों की जांच कर रही है।
गुरुवार को समिति 10 घंटे तक विश्वविद्यालय में रही थी। शुक्रवार सुबह फिर वह विश्वविद्यालय में पहुंच गई। कुलपति के कई मामलों में बयान लिए गए। कर्मचारी नीरज गोयल की नियुक्ति को लेकर कुलपति बुरे फंस गए हैं। विशेष सूत्रों की मानें तो पूर्व कुलसचिव अंजनी मिश्रा द्वारा नियुक्ति का विरोध किया गया था। फिर भी कुलपति प्रो. मित्तल ने नियम विरुद्ध तरीके से नीरज गोयल को नियुक्ति दे दी। कार्यपरिषद में भी कुलसचिव ने विरोध किया था, लेकिन कुलपति ने उनसे कहा था आप बस ऑर्डर जारी कीजिए। सूत्रों की मानें तो इस बात को चेक करने के लिए समिति ने कार्य परिषद की वीडियो देखी।
उधर, सहायक कुलसचिव अनूप केसरवानी से लंबी पूछताछ की। यह पूछताछ कुछ कॉलेजों में बीच सत्र में कुछ विशेष कोर्स में प्रवेश देने की अनुमति पर की गई। सूत्रों की मानें तो पूर्व कुलसचिव कर्नल अंजनी कुमार मिश्रा ने इन कॉलेजों को बीच सत्र में प्रवेश लेने की अनुमति पर आपत्ति जाहिर की थी क्योंकि क्लासेस स्टार्ट हुए काफी समय हो गया था। फिर भी कुलपति प्रो.मित्तल ने कुलसचिव की नोटिंग को नजरअंदाज करते हुए सहायक कुलसचिव अनूप केसरवानी के साथ मिलकर कॉलेजों को प्रवेश लेने की अनुमति दे दी। सूत्रों की मानें तो इनमें एक कॉलेज तो शिक्षा माफिया का है। कुछ कॉलेजों को गलत तरीके से मान्यता दिए जाने पर भी समिति ने पूछताछ की। सूत्रों की मानें तो सहायक कुलसचिव अनूप केशरवानी को गलत काम करने पर समिति की ओर से काफी फटकार लगी। इनके खिलाफ शासन को पत्र लिखने की बात कही गई।
सहायक कुलसचिव कैलाश बिंद और अजय गौतम से भी कुछ पत्रावली के संबंध में पूछताछ की गई। कुलपति द्वारा रखे गए सलाहकार हरगोविंद अग्रवाल को भी शुक्रवार को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया। जयपुर फर्म वाली फाइल को लेकर उनसे पूछताछ की गई। रात में समिति चली गई।