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यूपी सरकार ने ब्लैक फंगस को लेकर गाइडलाइन की जारी, मधुमेह नियंत्रण पर दिया जोर

by admin
UP government issued guidelines regarding black fungus, emphasis on diabetes control

कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर में अन्य बीमारियां भी चुनौती बनकर उभर रही हैं। जहां एक ओर फेफड़ों में संक्रमण की गंभीर समस्या से बड़ी तादाद में जनहानि हुई वहीं जैसे तैसे शासन और प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए संक्रमण दर पर काबू पाने की तमाम कोशिशें कीं। इसी बीच राइनोसेरेब्रल म्यूकार्माइकोसिस ब्लैक फंगज़ नाम का एक नया रोग सामने आने लगा, जो कि कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के लिए खतरे का सबब बन चुका है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिला अधिकारी ,मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों को गाइडलाइन जारी कर दी है। इस जारी गाइडलाइन में मधुमेह के नियंत्रण पर खास तौर पर जोर दिया गया है। कोविड, मधुमेह के साथ कोविड रोगी जो स्टेराइड तथा टोक्लीजुमाव या अन्य इम्यूनोस्पसेट प्रयोग कर रहे हैं , उनका ब्लड शुगर नियंत्रण में नहीं है।

ब्लैक फंगज़ रोग के लक्षण इस प्रकार है-

चेहरे पर भरापन, चेहरे पर दर्द, माथे में दर्द, आंख का लालीपन, सूजन और आंख के चारों तरफ भरापन।

नाक में पपड़ी जमना और खून निकलना।

नाक का बंद होना।

आंखों में सूजन, पलकों पर सूजन, आंखों की रोशनी जाना, एक के दो दिखना, आंखों का चलाने में दिक्कत, तालू का रंग बदलना, दांतों का ढीला होना, चेहरे और नाक का रंग बदलना, आंखों के पीछे दर्द का होना।

इन सभी में से कोई भी लक्षण होने पर रोगी को नाक, कान, गला विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए।नेजल स्पेकुलम से नाक की प्रारंभिक जांच।

किन रोगियों में इसकी सबसे ज्यादा संभावना-

कोविड, मधुमेह के साथ कोविड रोगी जो स्टेराइड तथा टोक्लीजुमाव या अन्य इम्यूनोस्पसेट प्रयोग कर रहे हैं और उनका ब्लड शुगर नियंत्रण में नहीं है।

कोविड रोगी जो पहले से इम्यूननोसपरासेंट्स प्रयोग कर रहे हैं।

जिन कोविड रोगियों का अंग प्रत्यारोपण हो चुका है।

ब्लैक फंगज़ के उपचार –

मधुमेह का उचित नियंत्रण।

इलेक्ट्रोलाइट के बिगड़ने तथा रीनल फंक्शन टेस्ट और लिवर फंक्शन टेस्ट।

डेड टिश्यू को प्रारंभिक अवस्था में निकालना।

स्टेरॉयड का उचित, तर्कसंगत और विवेकपूर्ण प्रयोग।

आक्सीजन ट्यूबिंग का बार-बार बदला जाना और प्रयोग की गई आक्सीजन ट्यूब का दोबारा इस्तेमाल न किया जाए।

कोविड मरीज को आक्सीजन देते समय उसका आर्द्रताकरण करें और आर्द्रता विलयन बार-बार किया जाए।

दिन में दो बार नाक को सलाइन से धोएं।

जो कोविड रोगी अधिक जोखिम वाले हैं, उनकी नाक धोना और एमफोरेटिस बी से उपचार।

कोविड रोगी की पहले, तीसरे और सातवें दिन परिस्थिति की जांच की जाए। डिस्चार्ज करते समय रोगी की सघन जांच जरूरी है।

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