आगरा। एक प्रॉपर्टी के विवाद में एक महिला ने आगरा पुलिस पर देश की सबसे बड़ी अदालत के आदेश की अवेहलना का आरोप लगाया है। महिला का आरोप है कि उनके ससुर के खिलाफ एक चर्च की जमीन को कब्जाने का झूठा आरोप लगाकर उनके खिलाफ षड्यंत्र के तहत तत्कालीन डीएम के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया गया था।
दरअसल ये मामला सिकंदरा क्षेत्र के चर्च की प्रॉपर्टी का है जिसमे आगरा डायोसिसन ट्रस्ट एसोसिएशन नाम से संस्था बानी है। इस संस्था के लोगों ने गलत तरीके से आरोप लगाने वाली महिला सुचेता जॉन के ससुर जॉनसन टी जॉन के खिलाफ षड्यंत्र रचते हुए तत्कालीन डीएम के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया गया था।
सुचेता जॉन ने बताया कि इसके ख़िलाफ़ पहले हम लोगों ने निचली अदालत और उसके बाद देश की सबसे बड़ी अदालत में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए मुकदमे के आदेश को स्पंज करने के आदेश दिए थे लेकिन लंबा समय गुजरने के बाद आगरा पुलिस सहित षड्यंत्र रचने वालो ने भी सुप्रीम कोर्ट में लिखित में माफी मांगी।लेकिन सिकंदरा थाना क्षेत्र के चौकी इंचार्ज ने षड्यंत्र रचने वालो से सांठगांठ कर मामले की फिर से जांच शुरू कर दी और मेरे ससुर के खिलाफ बी वारंट जारी करा दिया। इस मामले की शिकायत पुलिस मुखिया से भी की जिसके बाद डीजीपी ने भी आगरा पुलिस से मामले की जानकारी मांगी लेकिन आगरा पुलिस अब तक जानकारी तक नहीं भेज पाई है।
मीडिया से मुखातिब हुई महिला का कहना था कि वो अब मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज़ बुलंद करना चाहती है ताकि उनके 80 वर्षीय बुजुर्ग ससुर को इंसाफ मिल सके और उन पर लगे झूठे आरोप और मुकदमा खत्म हो सके।
सुचेता के वकील वरुण मिश्रा ने बताया कि आगरा पुलिस सुओरिम कोर्ट के आदेशों को भी नहीं मान रही।हूं लोगो ने आदेश की कॉपी भी आगरा पुलिस को मुहैया करा दी थी जिसके बाद सभी लोगों ने माफी भी मांगी थी लेकिन दरोगा हरीश वादियों से मिलकर आदेश को दरकिनार कर खुद को सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर मान रहा है।