आगरा। वर्ष 2012 में पीआरडी जवानों की परिवहन निगम में संविदा परिचालकों की भर्ती में हुए भ्रष्टाचार पर जांच टीम ने शिकंजा कस दिया है। फर्जी तरीके से भर्ती किए गए 25 परिचालकों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है लेकिन इन परिचालकों को भर्ती करने वाले तत्कालीन आरएम रोडवेज और प्रबंध निदेशक सिटी ट्रांसपोर्ट नीरज सक्सेना अभी भी इस कार्रवाई से बचे हुए हैं जबकि 2018 में ही मजिस्ट्रेट जांच में उनके खिलाफ अपराधिक मुकदमा दर्ज करने की संस्तुति एसीएम तृतीय सुरेंद्र सिंह ने की थी। इस संस्तुति के बाद भी अभी तक इन पर कोई कार्यवाही नहीं की जा सकी है। फर्जीवाड़े के इस मामले को 8 साल हो चुके है और लगातार जांच चल रही है। जांच के आधार परिचालकों पर तो गाज गिरी है लेकिन तत्कालीन आरएम अभी तक बचे हुए हैं जबकि उनकी सेवानिवृत्ति में महज 10 माह शेष हैं।
फर्जीवाड़े की इस जांच के बाद जिन परिचालकों की नौकरी गई है वह मेरठ के आरएम के खिलाफ सीधा मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं।
ये है पूरा मामला –
परिवहन विभाग में वर्ष 2011 में संविदा परिचालको की भर्ती होनी थी। यह भर्ती पीआरडी के माध्यम से होनी थी। इस भर्ती के दौरान आगरा परिक्षेत्र में भी पीआरडी जवानों को संविदा परिचालकों के रूप मे भर्ती किये गए थे। इन भर्ती में फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर भर्ती किये जाने की जानकारी मिलने पर तत्कालीन एआरएम प्रवीण कुमार ने जांच की और फर्जी मामले का खुलासा किया। काफी साल बाद एक बार पुनः पूरे मामले की जांच पड़ताल पर 25 संविदा परिचालकों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। इसमें सबसे ज्यादा 10 परिचालक मथुरा डिपो के हैं जबकि दूसरे नंबर पर छह परिचालक आगरा फोर्ट डिपो के हैं।
नियमों को ताक पर रखकर की गई थी भर्ती –
पीआरडी जवानों की भर्ती के लिए तत्कालीन अधिकारियों ने रोडवेज विभाग के सारे नियमों को ताक पर रख दिया था। जिन पीआरडी जवानों ने अपने प्रमाण पत्र लगाए गए वो आगरा मंडल के नहीं बल्कि मेरठ मंडल के थे। फिर भी इन की भर्तियां कर दी गई। जांच में यह बात सामने आई कि परिचालकों की भर्ती में नियमों का पालन नहीं किया गया।
एआरएम प्रवीण कुमार ने बताया कि उन्होंने इस फर्जीवाड़े का खुलासा उसी समय अपनी जांच रिपोर्ट में किया था लेकिन रोडवेज व पीआरडी विभाग के बढ़े अधिकारियों के शामिल होने पर आज तक उन पर कोई कार्यवाही नही हुई है। इस फर्जीवाड़े की आंच लगभग 200 परिचालकों पर पड़ेगी और 25 परिचालक को निकाल दिया गया है लेकिन मुख्य आरोपियों पर कोई कार्यवाही नही हुई है। उन्होंने बताया की इन दिनों उन्हें धमकियां भी मिली जिस पर उन्होंने एफआईआर दर्ज कराई है।
