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मौत का शतक लगा चुका है ये एक्सप्रेस वे, जानें पूरी खबर

by admin

आगरा। 23 दिसम्बर 2016 को आगरा को प्रदेश की राजधानी लखनऊ से जोड़ने वाला 302 किमी0 लम्बा एक्सप्रेसवे शुरू हुआ और 19 जनवरी 2018 की मध्यरात्रि से टोल लगना भी प्रारंभ हो गया, लेकिन अभी तक इस एक्सप्रेसवे पर बेतहाशा तेज गति से दौड़ने वाले वाहनों को रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं हुई है। जिसका परिणाम यह है कि अगस्त-2017 से मार्च-2018 तक 853 हादसों में 100 लोगों की मृत्यु इस एक्सप्रेसवे पर हो चुकी है। सूचना के अधिकार में यह खुलासा हुआ है।

यह सूचना आरटीआई के माध्यम से आगरा डवलपमेन्ट फाउण्डेशन (एडीएफ) के सचिव व वरिष्ठ अधिवक्ता के0सी0 जैन ने उ0प्र0 एक्सपे्रसवेज इन्डस्ट्रियल डेवलपमेन्ट अथाॅरिटी (यूपीडा) से ली है। सूचना में बताया गया है कि हल्के वाहनों हेतु एक्सप्रेसवे पर गतिसीमा 100 किमी प्रति घंटा व भारी वाहनों हेतु गतिसीमा 80 किमी प्रति घंटा है, जिस पर गति उल्लंघन को रोकने एवं ट्रैफिक की सुरक्षा के लिए ‘एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम’ के अंतर्गत 10 कैमरे लगाये जाने हैं।
 
अगस्त-2017 से मार्च-2018 के बीच इस एक्सप्रेसवे पर हर तीन दिन में औसत एक व्यक्ति कालग्रसित हुआ। आवागमन को सुगम कहा जाने वाला यह एक्सप्रेसवे इतना खतरनाक है, शायद ही लोगों को इसका अंदाजा है।

अधिवक्ता के0सी0 जैन का कहना है कि गतिनियंत्रण व सुविधाओं के अभाव में हादसे हो रहे हैं जबकि एक्सप्रेसवे का उद्देश्य वाहनों का तेज गति से चलना नहीं, अपितु सुरक्षित यातायात है और आवश्यक सुविधाओं की कमी के कारण विगत 9 माहों में 853 हादसों में 100 व्यक्तियों ने अपनी जान गंवा दी। ट्राॅमा सेन्टर व चिकित्सकीय सुविधाओं की कमी ने भी इस एक्सप्रेसवे को असुरक्षित बना रखा है।

एडीएफ की ओर से यह भी प्रश्न उठाया गया है कि 302 किमी लम्बे एक्सप्रेसवे पर प्रत्येक दिशा में केवल दो-दो स्थानों पर वे-साइड एमेनिटीज़ होना कम है, जबकि 165 किमी लम्बे यमुना एक्सप्रेसवे पर प्रत्येक दिशा में तीन-तीन स्थानों पर ऐसी सुविधायें हैं। लखनऊ एक्सप्रेसवे पर ये सुविधायें प्रत्येक दिशा में पाँच-पाँच स्थानों पर होनी चाहिए।

यह भी मांग की गई कि गतिनियंत्रण के लिए भी जल्दी से जल्दी कैमरे लगाये जाने चाहिए और गति उल्लंघन करने वाले वाहनों का चालान होना चाहिए। यमुना एक्सप्रेसवे पर भी ऐसे ही कैमरे लगे हुए हैं, जिनके अनुसार पिछले पांच वर्षों में 2 करोड़ 30 लाख वाहनों ने गति उल्लंघन किया था लेकिन चालान कुल 18 हजार ही हुए। एडीएफ के अनुसार लखनऊ एक्सप्रेसवे को सुरक्षित बनाने के लिए न केवल कैमरे ही लगाये जायें, बल्कि गति उल्लंघन के विरुद्ध प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित हो। 

उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम के अंतर्गत निम्न व्यवस्थायें प्रस्तावित हैंः-

1. आपातकाल की स्थिति में एक्सप्रेसवे उपयोगकर्ताओं/सुरक्षाकर्मियों द्वारा कन्ट्रोल सेन्टर से सम्पर्क स्थापित कर सूचना उपलब्ध कराने हेतु 76 नग इलेक्ट्राॅनिक काॅल बूथ की स्थापना।

2. रियल टाइम डेटा प्राप्त कर एक्सप्रेसवे पर सुचारू एवं सुरक्षित ट्रैफिक प्रबंधन हेतु 50 नग सी0सी0 टी0वी. उपकरणों की स्थापना।

3. वाहनों के नम्बर प्लेट को रिकाॅर्ड करने की क्षमता वाले कैमरों तथा वाहनों की गति मापने के यंत्रों की 10 स्थलों पर स्थापना।

4. एक्सप्रेसवे में 34 स्थलों पर आॅटोमैटिक व्हीकल क्लासिफायर और काउण्टर की स्थापना व संचालन।

5. यात्रा को सुरक्षित व सुगम बनाने हेतु ए0टी0एम0एस0 उपकरणों के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं को मोबाइल ऐप के माध्यम से एक्सप्रेसवे के उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध कराना।

6. एक्सप्रेसवे के 03 कण्ट्रोल सेन्टर स्थलों पर वृहद डिस्प्ले बोर्ड, नेटवर्क मैनेजमेन्ट सिस्टम सहित सेन्ट्रल कम्प्यूटर, सी0सी0 टी0वी0 माॅनिटरिंग सिस्टम एवं काॅल सेन्टर की स्थापना।

7. आगरा एवं लखनऊ के निकट स्थित टोल प्लाज़ा पर ए0टी0एम0एस0 कार्यों के स्म्क् ैपहद ठवंतक के माध्यम से सड़क सुरक्षा संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदर्शन। 

ए0डी0एफ0 द्वारा सुझाव दिया गया है कि एक्सप्रेसवे पर चलने वालों का इन्श्योरेन्स कवर हो जिसका शुल्क टोल के साथ लिया जा सकता है। इस मांग का समर्थन ए0डी0एफ0 के अध्यक्ष पूरन डावर द्वारा भी किया गया। वाहनों की ओवरस्पीडिंग को रोकने, एम्बुलेन्स व ट्राॅमा सेन्टर की प्रभावी व्यवस्था व जनसुविधाओं को तुरन्त उपलब्ध कराये जाने की मांग भी ए0डी0एफ0 की ओर से की गई ताकि एक्सप्रेसवे पर हादसों में मानव जीवन बच सके।

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