Agra. सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही तो देखिए कि अपने ही विभाग के मृतक कर्मचारी के परिवार की मदद तक नही कर रहे है। आए दिन अधिकारियों से मिलने के लिए विभाग के चक्कर लगा रहे मृतक कर्मचारी की पत्नी और बेटा आज धरने पर ही बैठ गए। उन्होंने कहा कि जब तक उनकी सुनवाई नहीं होगी, वह यहां से नहीं जाएंगे। इस दौरान उन्होंने विभागीय अधिकारियों के प्रति अपनी तीखी प्रतिक्रियाएं भी व्यक्त की।
ये है मामला:-
प्रतापपुरा स्थित सिंचाई विभाग के कार्यालय पर अपनी मां के साथ धरने पर बैठे युवक वीरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि उसके पिता की मृत्यु पिछले वर्ष 13 अक्टूबर 2020 को कोरोना के कारण हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद उन्होंने चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए जनवरी माह में मथुरा में सम्मिट किया था, जो 15 मार्च को ट्रांसफर होकर आगरा आ गया। मामला आगरा आने पर सिंचाई विभाग के इस कार्यालय के कर्मचारी रमेश चंद्र पर आपत्ति लगा कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जबकि उसे मुख्य चिकित्सा कार्यालय मथुरा से जांच के बाद ही भेजा गया था।
कर्मचारी रमेश चंद्र द्वारा परेशान करने के लिए लगाई जा रही है आपत्ति:-
पीड़ित वीरेंद्र उपाध्याय का कहना है कि उन्हें परेशान करने के लिए आपत्तियां लगाई जा रही हैं जबकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा वेरीफाई करके भेजा गया है। कर्मचारी रमेश चंद्र द्वारा जो आपत्ति लगाई जा रही हैं वह भी ऐसी हैं जो किसी के गले नहीं उतर रही है।किसी में आधार कार्ड नहीं है, किसी में कुछ नहीं है। जब भी सारी फॉर्मेलिटी पूरी की गई है, जो कमियां उन्होंने बताई ,उन कमियों को भी दूर किया गया तो उन्होंने चिकित्सा अधिकारी द्वारा वेरीफाई ना होने पर आपत्ति लगाकर वापस कर दी।
सुविधा शुल्क लेने के बाद भी परेशान कर रहा है रमेश चंद्र:-
पीड़ित वीरेंद्र उपाध्याय का कहना है कि इस दौरान कर्मचारी रमेश चंद है।जो उनसे सुविधा शुल्क मांगा,वह भी उसे दिया गया लेकिन इसके बावजूद भी कर्मचारी उन्हें परेशान कर रहा है।उनके पिता की चिकित्सा प्रतिपूर्ति फाइल पास नहीं हो रही है।ऐसा लगता है कि रमेश चंद्र बड़ा सुविधा शुल्क चाहता है।
1 साल से लगा रहा है परिवार चक्कर:-
पीड़ित परिवार का कहना है कि वह 1 साल से चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए चक्कर लगा रहे हैं। कभी उन्होंने मथुरा भेजा जाता है तो मथुरा से तभी आगरा भेज दिया जाता है। ऐसा लगता है कि मथुरा और आगरा के बीच मैच चल रहा है, जिसमें परिवार गोल बना हुआ है, जिससे हर कोई खेल रहा है।
धरने पर बैठा परिवार:-
अधिकारियों की ऊंची मानसिकता के चलते आज एक पीड़ित परिवार धरने पर बैठ गया है।उनका कहना है कि जब तक अधिकारियों से मुलाकात नहीं होती और उन्हें उचित आश्वासन नहीं मिलता, वहीं धरने पर बैठेंगे।