डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा से प्रबंधन विषय में हिन्दी माध्यम से विद्या वाचस्पति (पीएचडी) की उपाधि लेने वाले डॉ भानु प्रताप सिंह का नाम ‘द सर्वे ऑफ इंडिया’ के पृष्ठ संख्या 83 पर क्रमांक 9 में शामिल हो गया है।खास बात यह है कि प्रबंधन क्षेत्र में हिंदी माध्यम से प्रथम शोध प्रबंध के लेखक भानु प्रताप सिंह ने विषय “उत्तर प्रदेश प्रशासन में मानव संसाधन की उन्नत प्रवृत्तियों का एक विश्लेषणात्मक अध्ययन आगरा मंडल के संदर्भ में” पर अपना नाम द सर्वे ऑफ इंडिया के आंकड़ों में दर्ज कर स्वर्णिम मुकाम हासिल किया है। बता दें कि डॉ. भानु प्रताप सिंह अलीगढ़ जिले के ग्राम चपौटा के रहने वाले हैं।वरिष्ठ पत्रकार डॉ भानु प्रताप सिंह ने सम्पादक के रूप में सन 1989-90 से शुरुआत की थी। जिसके बाद करीब तीन हजार से ज्यादा बाई लाइन खबरें प्रकाशित हुईं। अलावा इसके दैनिक जागरण आगरा में आगरा नगर निगम के बारे में लगातार 40 दिन तक बाई लाइन खबरें प्रकाशित की थी, जो कि एक रिकॉर्ड है।
डॉक्टर भानु प्रताप सिंह ने पत्रकारिता की शुरुआत आगरा के दैनिक स्वराज टाइम्स से की थी। अलावा इसके दैनिक जागरण, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, दिल्ली, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका के बाद ‘द सी एक्सप्रेस’ में भी वे बतौर सम्पादक रहे। साथ ही हिन्दी दैनिक कल्पतरु एक्सप्रेस में कंटेंट एडिटर के रूप में कार्य किया।अगर डॉ. भानु प्रताप सिंह के डिजिटल एडिशन की बात की जाए तो पत्रिका समूह (राजस्थान पत्रिका) के डिजिटल एडिशन www.patrika.com आगरा जोन के संपादक के बाद पंजाब स्टेट हेड भी रहे। इतना ही नहीं अप्रैल, 2008 में हिन्दुस्तान के अलीगढ़ संस्करण को लॉन्च भी कराया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को महत्वपूर्ण बीट के रूप में स्थापित करने का श्रेय भी इन्हीं को जाता है।जुलाई, 2001 में भारत-पाक शिखर वार्ता में विदेश मंत्री जसवंत सिंह की लाइव प्रेसवार्ता में 400 पत्रकारों के बीच आगरा से प्रश्न पूछने का साहस करने वाले उस समय एकमात्र पत्रकार डॉ भानु प्रताप सिंह ही थे।
अमर उजाला में ‘गपशप’ और ‘खरी-खरी’ तथा दैनिक जागरण में ‘शहरनामा’ के नाम से लोकप्रिय व्यंग्य कॉलम लिखे। श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की कवरेज के लिए अमर उजाला ने दिसम्बर, 1992 में अयोध्या भेजा। जहां से पत्रकार डॉ भानु प्रताप सिंह द्वारा मीडिया कवरेज की गई। शहरी जनसमस्या, विकास, सामाजिक समस्याएं, पर्यटन, प्रशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, पुरातत्व, कृषि, राजनीति में अपना अद्वितीय योगदान दिया। भानु प्रताप सिंह का एक महत्वपूर्ण शोध “सीकरी के सिकरवार- एक ऐतिहासिक अध्ययन” उन्होंने माना है कि फतेहपुर सीकरी का किला अकबर से पहले का है इस पर सिकरवारों का आधिपत्य था। राणा सांगा और बाबर के बीच हुए युद्ध में पराजय के बाद सिकरवार यहां से पलायन करके गहमर (जिला आजमगढ़-उत्तर प्रदेश) में चले गए। लिखित इतिहास मौन है, लेकिन किंवदितयां और तत्कालीन साहित्य इस बात को प्रमाणित करता है। इस शोध प्रबंध को भारतीय इतिहास अनुसांधन परिषद, नई दिल्ली (आईसीएचआर) ने अस्वीकृत कर दिया था, जिसके कारण कोई काम नहीं हो सका। हिंदी के लिए उत्कृष्ट कार्य करते हुए डॉ भानु प्रताप सिंह को साहित्य मंडल, नाथद्वारा राजस्थान द्वारा पत्रकार प्रवर की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। पत्रकार भानु प्रताप सिंह ने सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थानों द्वारा कई सम्मान प्राप्त किए। वहीं आकाशवाणी आगरा से भी कई वार्ताएं आयोजित हुईं।