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बंदूक छोड़ जवानों ने हाथों में थामी गुलेल, जाने क्यों

by pawan sharma

आगरा। मोहब्बत की निशानी ताजमहल में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल सीआईएसफ के जवानों के हाथों में अब गन की जगह गुलेल दिखेगी। स्मारक में पर्यटकों पर आए दिन होने वाले बंदरों के हमले से बचाव को सुरक्षा एजेंसियों ने यह निर्णय लिया है। 14 जवानों को पर्यटक की सुरक्षा के लिए गुलेल चलाने का विशेष विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। ताजमहल पर सैलानियों का सामान झपटने को बंदर झुंडों में हमला करते हैं।

पिछले एक माह में यहां 16 सैलानी घायल हो चुके हैं। इसकी सुरक्षा में सीआईएसएफ के 160 जवान अत्याधुनिक हथियारों से लेस 24 घंटे तैनात रहते हैं । लेकिन बंदरों से पर्यटकों को नहीं बचा पाते। जिसके चलते ताज के सभी प्रवेश द्वार, रॉयल गेट, मुख्य स्मारक सहित 14 स्थानों पर जवानों को गुलेल के साथ तैनात किया गया है। जैसे ही जवान गुलेल तानते हैं उन्हें देखकर बंदर भाग जाते हैं।

शिल्पग्राम से ताज पूर्वी, पश्चिमी गेट मेहमानखाने में बंदरों को भगाने का प्रस्ताव रखा गया। कई प्रस्तावों पर चर्चा हुई। योजनाएं भी बनी। बंदरों को भगाने की परंपरागत योजना लंगूर की तैनाती की बात भी आई लेकिन वन विभाग ने नियमों का हवाला देकर रोक दिया। पर्यटकों को जागरूक करने के लिए स्थान स्थान पर चेतावनी बोर्ड भी लगाए गए। घटनाओं में कमी नहीं आने पर सुरक्षा एजेंसी की सलाह पर अब जवानों को गुलेल प्रशिक्षण दिया गया है और अब ताजमहल के अंदर सीआईएसफ के जवानों में अत्याधुनिक हथियारों की जगह गुलेल दिखाई दे रही है।

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