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एनओसी जारी करने वाले अग्निशमन विभाग को नहीं मालूम कितने होटलों में है स्विमिंग पूल, पानी की बर्बादी पर भी नहीं कोई एक्शन

by admin
The fire department issuing NOC does not know how many hotels have swimming pools, no action even on wastage of water

Agra. ताजनगरी में कितने होटलों में स्विमिंग पूल हैं, इसकी जानकारी अग्निशमन विभाग के पास नहीं है जबकि इसी विभाग को होटलों को आपदा प्रबंधन या दुर्घटना प्रबंधन के संबंध में जन आवाजाही वाले प्रतिष्ठानों के भवनों और परिसर को लेकर एनओसी देनी होती है। उपरोक्‍त आश्‍चर्यजनक सूचना आगरा के अग्निशमन कार्यालय के द्वारा सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के जनरल सैकेट्री को दी गयी है। स्‍विमिंग पूलों के संचालन के लिये होटल प्रतिष्ठानों के द्वारा उनके अलावा क्या किसी अन्य विभाग से अनुमति ली गयी है। इसकी जानकारी सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता के दौरान दी।

सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा की जनरल सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने बताया कि टूरिज्म विभाग होटलों को लाइसेंस देने के लिये कार्यदायी संस्था है लेकिन होटल परिसरों को संचालित होने से पूर्व सुरक्षा संबधी व्‍यवस्‍था के लिये अनापत्‍ति (एनओसी) राज्य के अग्निशमन विभाग को ही देनी होती है। विभाग का कहना है कि उनका डिपार्टमेंट नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ़ इंडिया (एनबीसीआई) के पैरामीटर्स पूरे करने वाले प्रतिष्‍ठानों को ही अनुमति देता है। जिन प्रतिष्ठानों को एनबीसीआई के पैरामीटर पूरे करने पर अनुमति दी जाती है। उन्हें भी हर तीसरे साल उसे रिन्यू करवाना पडता है।

एनबीसीआई कोड के तहत स्‍विमिंग पूलों के संचालन संबधी प्रावधानों का सवाल है, ये बिल्‍कुल उपयुक्त व अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ही हैं। जहां तक आगरा के होटलों के स्‍विमिंग पूलों का प्रश्‍न है, संभवत इनका पालन न तो होटल प्रबंधन खुद कर रहा है और न हीं कार्यदायी एजेंसियां ही करवा रही हैं। होटलों के स्विमिंग पूल इस्तेमाल करने वाले स्‍विमरों के हित में इन मानकों का प्रभावी किया जाना निहायत जरूरी है और नैतिक जिम्मेदारी है। हो सकता है कि स्विमिंग पूलों के इंतजामों को लेकर होटल प्रबंधनों ने एनबीसीआई के पैरामीटरों को पूरा करने के लिए कोई अन्य व्यवस्था कर रखी हो किन्तु वह गोपनीय न होकर टूरिज्म डिपार्टमेंट और अग्निशमन विभाग के पास तो होनी ही चाहिये।

सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा के अध्यक्ष शिरोमणि सिंह का कहना है कि उत्तर प्रदेश के टूरिज्म प्रधान जनपदों में आगरा सबसे महत्वपूर्ण है। संभवत प्रदेश का एकमात्र जनपद जहां कि पर्यटक खास कर भारत आने वाला विदेशी यहां जरूर आना चाहता है। यही नहीं सुरक्षित एवं आराम प्रद व्यवस्था होने पर यही किसी होटल में रात्रि विश्राम भी करना चाहता है। उसे विश्वास होता है कि यहां के होटलों का संचालन भारत की पर्यटक आवास नीति के तहत स्वास्थ्य सुरक्षा संबधी मानकों के अनुकूल होता होगा लेकिन हादसा होने के बाद अग्निशमन विभाग अपने ऊपर जिम्मेदारी नहीं लेता।

वहीँ एक ओर सरकार आगरा के गिरते जलस्तर को लेकर अत्यंत गंभीर है लेकिन होटल और मनोरंजन प्रधान गतिविधियों के संचालक परिसरों की जलापूर्ति व्यवस्था को पारदर्शी बनाये जाने को लेकर अब तक साफ नहीं है। ताजगंज क्षेत्र का भूगर्भ जल स्तर लगातार गिर रहा है। वहीं होटल जो कि पानी के बल्‍क यूजर है कि जलापूर्ति को लेकर सटीक उत्तर नहीं मिल पाता है। अग्निशमन विभाग ही नहीं टूरिज्‍म विभाग से भी मांग करते है कि अगर संभव हो तो बतायें कि जनपद के कितने होटलों में स्विमिंग पूल हैं। इनके संचालन के लिये कहां से अनुमति लिए जाने का प्रावधान है। ताजगंज क्षेत्र महानगर का अति दोहित क्षेत्र है, व्यापक नागरिक हितो में मालूम होना चाहिये कि भूगर्भ के गिरते जलस्तर में वैध और अवैध दोहन का कितना कितना योगदान है। जलस्तर की गिरावट को रोकने के लिये जल शक्ति मंत्रालय की क्या योजना है।

अनिल शर्मा ने कहा कि सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा की ओर से मैं किसी परिकल्पना मात्र पर बात नहीं कर रहा। ताजनगरी फेस -वन, विभव नगर, शहीद नगर के नागरिकों से मिले फीडबैक तथा उस आरटीआई के प्रत्‍युत्‍तर के मिले जवाब के आधार पर चिंता जता रहा हूं। किसी को भी यह जानकर आश्चर्य होगा कि अग्निशमन विभाग के द्वारा दिनांक 25-10-21 को भेजे पत्र के उत्तर में उपलब्‍ध करायी है। लोक महत्व की इस जानकारी को भी दूसरी अपील में ही जन सूचना आयुक्‍त के माध्‍यम से ही प्राप्त किया जा सका है, जबकि मेरा मूल आवेदन पत्र दिनांक 03-6-20 को दिया हुआ था।

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