आगरा। ईसाई समाज की संस्था आगरा ज्वाइंट्स सिमेट्रीज कमेटी (एजेएससी) ने एक अजीबो गरीब फैसला लिया है। इस फैसले के अनुसार एक ही परिवार के सभी सदस्यों के लिए अब एक ही कब्र होगी और उसी एक कब्र में ही परिवार के सदस्यों के मरणोपरांत एक के ऊपर एक करके दफनाया जाएगा। इसके लिए कब्र को काफी गहराई तक खोदा जाएगा जिससे भविष्य में किसी तरह की परेशानी न हो।
कमेटी के इस नए फैसले के अनुसार मरणोपरांत एक सदस्य को दफनाने के बाद उसके ऊपर स्लैब डाल दी जाएगी। इसी तरह से उस परिवार के एक -एक कर सदस्यों को मरणोपरांत दफनाया जाएगा। यह फैसला कब्रिस्तानों में पड़ रही जमीन की कमी को देखते हर लिया गया है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि इस नई प्रक्रिया से जिंदगी के बाद भी परिवार एक साथ रह सकेगा।
बताया जाता है कि हाल ही में कमेटी के चेयरमैन फादर मून लाजरस, पादरी जिब्राइल दास, पादरी ज्योति सिंह, बिशप पीपी हाबिल, फादर राजन, फादर स्टीफन की बैठक हुई थी जिसमे कब्रिस्तान में शव दफनाने को लेकर कम पड़ रही जमीन को लेकर यह फैसला लिया गया है। इतना ही नही इस नए फैसले से गिरजाघरों में प्रार्थना के लिए आने वाले लोगों को इसके बारे में जानकारी दी जा रही है। इस कमेटी के अंतर्गत गोरों का कब्रिस्तान और तोता का ताल पर बना कब्रिस्तान आता है।
कमेटी के चैयरमैन फादर मून लाजरस ने बताया कि हमारा मकसद कब्रिस्तान की जमीन में उन लोगों को सम्मान के साथ स्थान देना है, जो इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। जमीन की कमी के कारण यह फैसला लिया गया है। प्रार्थना सभा में लोगों को इसका महत्व समझाया जा रहा है। समाज के लोगों को समझ भी आ रहा है।
एजेसीसी के चेयरमैन मून लाजरस का कहना है कि दक्षिण भारत के कई शहरों में यह परंपरा चल रही है। वहां लोगों को इस बात का भी सुकून है कि जो परिवार जिंदगी भर साथ-साथ रहा, दुनिया छोड़़ने के बाद भी वह परिवार एक ही कब्र में हमेशा के लिए सुकून की नींद सो रहा है।