आगरा। कोरोना संक्रमण के कारण स्वास्थ्य विभाग की पूरी व्यवस्थाएं चरमरा चुकी है। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को कोरोना के अलावा कोई और मरीज दिखाई नही दे रहा है। इस कारण बुधवार को इलाज के अभाव में लगभग 7 माह के मासूम की मौत हो गई जिससे परिवार में कोहराम मचा हुआ है। मासूम बच्चे की मौत के लिये परिजन प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
मामला थाना रकाबगंज क्षेत्र के छीपीटोला तेलीपाड़ा का है। बताया जाता है कि बिलाल गौरी के बेटे हमजा गौरी की सुबह 9 बजे करीब अचानक से तबियत बिगड़ी थी। सोते हुए उसकी नाक से खून बह रहा था। यह दृश्य देखकर बच्चे की माँ की चीख निकल गयी। परिवार के सभी लोग बच्चे की हालत को देखकर इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर भागे। जिला अस्पताल के चिकित्सकों ने बिना प्राथमिक उपचार किये बच्चे को एसएन ले जाने के लिए कह दिया। परिजन बच्चे की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए दो प्राइवेट हॉस्पिटल भी गए लेकिन वहाँ भी कोई रिस्पॉन्स नही मिला। इसके बाद बच्चे को एसएन ले जाया गया जहाँ फॉर्मेलिटीज के चलते बच्चे ने दम तोड़ दिया।
मासूम की मौत के लिए परिजन जिला प्रशासन व स्वास्थ्य अधिकारियों को जिम्मेदार मान रहे हैं। उनका कहना है कि जिला अस्पताल में बच्चे को देखा भी नहीं गया और सिर्फ कोरोना के मरीज भर्ती होने की बात कहकर एसएन के लिए भेज दिया। इस दौरान आसपास के दो प्राइवेट हॉस्पिटलों में भी बच्चे को ले जाया गया लेकिन जिला प्रशासन की नकेल के कारण सारी प्राइवेट हॉस्पिटल की ओपीडी बंद थी। इसके बाद बच्चे को एसएन अस्पताल ले जाया गया जहां पर चिकित्सकों ने बच्चे को पहले देखा नहीं बल्कि कागजी फॉर्मेलिटीज पूरी कराने में जुट गये, इससे बच्चे की तबीयत बिगड़ती चली गई और जब कागजी फॉर्मेलिटी पूरी होने के बाद चिकित्सकों ने बच्चे को देखा तो उसे मृत घोषित कर दिया और कहा कि आप लगभग 30 मिनट लेट हो गए, बच्चे को पहले ले आते तो शायद बच जाता।
मासूम मृतक के परिजनों का आरोप है कि जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण ही मासूम की मृत्यु हो गई। ऐसा लगता है कि कोरोना के कारण जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग अन्य गंभीर मरीजों को देखना ही नहीं चाहता है। इसीलिए तो पिछले 9 दिनों में ईलाज़ के अभाव में 7 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।